चाणक्य एक प्राचीन भारतीय शिक्षक और चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में सबसे ज्यादा लोकप्रिय सलाहकार थे। उन्हें पारंपरिक रूप से कौटिल्य या विष्णुगुप्त के रूप में पहचाना जाता था, उन्होंने अर्थशास्त्र पर राजनीतिक दृष्टिकोण पर सबसे लोकप्रिय पुस्तक लिखी, जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व और तीसरी शताब्दी सीई के बीच लिखी गई थी। आज इस पोस्ट में हम चाणक्य के पत्नी, मित्र या दोस्त, प्यार, संबंध, सफलता पर अनमोल विचार जानेंगे। तो चलिए पढ़ते हैं चाणक्य के अनमोल विचार।
●•● अगर सांप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए।
– चाणक्य
●•● जो लोग परमात्मा तक पहुंचना चाहते हैं उन्हें वाणी, मन, इन्द्रियों की पवित्रता और एक दयालु ह्रदय की आवश्यकता होती है।
– चाणक्य
शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है. शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है।
– चाणक्य
●•● सर्प, नृप, शेर, डंक मारने वाले ततैया, छोटे बच्चे, दूसरों के कुत्तों, और एक मूर्ख: इन सातों को नीद से नहीं उठाना चाहिए।
– चाणक्य
●•● जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को अगर आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पुरे परिवार को बर्वाद कर देता है।
– चाणक्य
पहले पांच सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिये. अगले पांच साल उन्हें डांट-डपट के रखिये. जब वह सोलह साल का हो जाये तो उसके साथ एक मित्र की तरह व्यवहार करिए. आपके वयस्क बच्चे ही आपके सबसे अच्छे मित्र हैं।
– चाणक्य
●•● जब आप किसी काम की शुरुआत करें, तो असफलता से मत डरें और उस काम को ना छोड़ें. जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वो सबसे प्रसन्न होते हैं।
– चाणक्य
●•● जो सुख-शांति व्यक्ति को आध्यात्मिक शान्ति के अमृत से संतुष्ट होने पे मिलती है वो लालची लोगों को बेचैनी से इधर-उधर घूमने से नहीं मिलती।
– चाणक्य
यदि किसी का स्वभाव अच्छा है तो उसे किसी और गुण की क्या जरूरत है ? यदि आदमी के पास प्रसिद्धि है तो भला उसे और किसी श्रृंगार की क्या आवश्यकता है।
– चाणक्य
सफलता पर चाणक्य के विचार
●•● सेवक को तब परखें जब वह काम ना कर रहा हो, रिश्तेदार को किसी कठिनाई में, मित्र को संकट में, और पत्नी को घोर विपत्ति में।
– चाणक्य
हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है. ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो यह कड़वा सच है।
– चाणक्य
●•● भगवान मूर्तियों में नहीं है. आपकी अनुभूति आपका इश्वर है. आत्मा आपका मंदिर है।
– चाणक्य
●•● कोई व्यक्ति अपने कार्यों से महान होता है, अपने जन्म से नहीं।
– चाणक्य
सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है – कभी भी अपने राज़ दूसरों को मत बताएं. ये आपको बर्वाद कर देगा।
– चाणक्य
●•● इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है, बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये।
– चाणक्य
●•● पृथ्वी सत्य की शक्ति द्वारा समर्थित है; ये सत्य की शक्ति ही है जो सूरज को चमक और हवा को वेग देती है; दरअसल सभी चीजें सत्य पर निर्भर करती हैं।
– चाणक्य
जैसे ही भय आपके करीब आये, उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये।
– चाणक्य
●•● सांप के फन, मक्खी के मुख और बिच्छु के डंक में ज़हर होता है; पर दुष्ट व्यक्ति तो इससे भरा होता है।
– चाणक्य
●•● जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को अगर आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है, उसी प्रकार एक पापी पुत्र पुरे परिवार को बर्वाद कर देता है।
– चाणक्य
फूलों की सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है, लेकिन एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है।
– चाणक्य
●•● कभी भी उनसे मित्रता मत कीजिये जो आपसे कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के हों. ऐसी मित्रता कभी आपको ख़ुशी नहीं देगी।
– चाणक्य
एक उत्कृष्ट बात जो शेर से सीखी जा सकती है वो ये है कि व्यक्ति जो कुछ भी करना चाहता है उसे पूरे दिल और ज़ोरदार प्रयास के साथ करे।
– चाणक्य
●•● वह जो हमारे चिंतन में रहता है वह करीब है, भले ही वास्तविकता में वह बहुत दूर ही क्यों ना हो; लेकिन जो हमारे ह्रदय में नहीं है वो करीब होते हुए भी बहुत दूर होता है।
– चाणक्य
●•● व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है; और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है; और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है।
– चाणक्य
हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं।
– चाणक्य
●•● सारस की तरह एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए और अपने उद्देश्य को स्थान की जानकारी, समय और योग्यता के अनुसार प्राप्त करना चाहिए।
– चाणक्य
●•● जब तक आपका शरीर स्वस्थ और नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है, अपनी आत्मा को बचाने कि कोशिश कीजिये; जब मृत्यु सर पर आजायेगी तब आप क्या कर पाएंगे?
– चाणक्य
कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयं से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा, और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें, तभी आगे बढिए।
– चाणक्य
●•● हे बुद्धिमान लोगों..! अपना धन उन्ही को दो जो उसके योग्य हों और किसी को नहीं. बादलों के द्वारा लिया गया समुद्र का जल हमेशा मीठा होता है।
– चाणक्य
●•● वो जिसका ज्ञान बस किताबों तक सीमित है और जिसका धन दूसरों के कब्ज़े मैं है, वो ज़रुरत पड़ने पर ना अपना ज्ञान प्रयोग कर सकता है ना धन।
– चाणक्य
एक अनपढ़ व्यक्ति का जीवन उसी तरह से बेकार है जैसे की कुत्ते की पूँछ, जो ना उसके पीछे का भाग ढकती है ना ही उसे कीड़े-मकौडों के डंक से बचाती है।
– चाणक्य
●•● वेश्याएं निर्धनों के साथ नहीं रहतीं, नागरिक कमजोर संगठन का समर्थन नहीं करते, और पक्षी उस पेड़ पर घोंसला नहीं बनाते जिस पे फल ना हों।
– चाणक्य
अपमानित हो के जीने से अच्छा मरना है. मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है, लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता है।
– चाणक्य
●•● दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति नौजवानी और औरत की सुन्दरता है।
– चाणक्य
किसी मूर्ख व्यक्ति के लिए किताबें उतनी ही उपयोगी हैं जितना कि एक अंधे व्यक्ति के लिए आईना।
– चाणक्य
●•● संतुलित दिमाग जैसी कोई सादगी नहीं है, संतोष जैसा कोई सुख नहीं है, लोभ जैसी कोई बीमारी नहीं है, और दया जैसा कोई पुण्य नहीं है।
– चाणक्य
●•● वह जो अपने परिवार से अत्यधिक जुड़ा हुआ है, उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है, क्योंकि सभी दुखों कि जड़ लगाव है. इसलिए खुश रहने कि लिए लगाव छोड़ देना चाहिए।
– चाणक्य
Chanakya quotes on friendship in hindi | चाणक्य के दोस्ती और मित्रता पर अनमोल विचार
●•● जिस व्यक्ति में अपने परिवार का पालन पोषण करने की योग्यता ना हो, जो व्यक्ति अपनी गलती होने पर भी किसी से न डरता हो, जो व्यक्ति शर्म नहीं करता है,जिसमें अन्य लोगों के लिए कोई दया भाव की भावना न हो, जो इंसान त्यागवान नहीं है, वे मित्रता के योग्य कभी नहीं हो सकता।
– चाणक्य
कभी भी उनसे मित्रता मत कीजिये जो आपसे कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के हों। ऐसी मित्रता कभी आपको खुशी नहीं देगी। ऐसे लोगों के साथ रहकर अपमान सहना पड़ सकता है।
– चाणक्य
●•● ऐसे व्यक्ति से भी मित्रता नहीं करनी चाहिए जो बुरे स्थान पर रहता है। बुरे स्थान पर रहने वाला व्यक्ति खुद को उस स्थान की बुराइयों से दूर नहीं रख पाता और ऐसे व्यक्ति के साथ मित्रता करने से आपके जीवन पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
– चाणक्य
सेवक को तब परखें जब वह काम ना कर रहा हो, रिश्तेदार को किसी कठिनाई में, मित्र को संकट में, और पत्नी को घोर विपत्ति में।
– चाणक्य
●•● कभी भी दोस्तों को अपने सारे राज न बताएं क्योंकि अगर ये आपसे नाराज हो गए तो ये आपकी निजी बाते सभी लोगों को बता सकते हैं।