राजकुमार और सेब की कहानी
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बहुत पुरानी बात है कि यूरोप का एक राजकुमार किसी ऐसी लड़की से शादी करना चाहता था जिसके सेब जैसे लाल लाल गाल हों। सेब के बीज जैसी कत्थई आँखें हों और सेब के रस जैसा मीठा स्वभाव हो।
लेकिन ऐसी लड़की उसको अपने राज्य में कोई मिली ही नहीं इसलिये वह ऐसी ही एक लड़की की खोज में दूसरे देश को चल दिया।
वह घोड़े पर सवार था। तीन दिन और तीन रात की लगातार सवारी के बाद वह एक ऐसी जगह पहुँचा जहाँ छोटी छोटी झाड़ियों की एक कतार लगी थी।
उस कतार में एक झाड़ी के नीचे एक बालों वाली टाँग बाहर निकली हुई थी। वह वहाँ रुक गया। तभी उसने एक आवाज सुनी — “उफ मेरी बदकिस्मती, मैं यहाँ चिपक गया हूँ।”
राजकुमार ने पूछा — “तुम कौन हो?”
वही आवाज फिर बोली — “मेरी टाँग खींचो तभी तुमको पता चलेगा कि मैं “मैं” हूँ।”
“अच्छा” कह कर राजकुमार ने ज़ोर लगा कर उसकी वह टाँग खीँची तो एक छोटा आदमी जिसका शरीर गोल था और वह लाल और हरे रंग के कपड़े पहने था बाहर निकल आया। उसने राजकुमार को अपने को बाहर निकालने के लिये धन्यवाद दिया।
राजकुमार ने पूछा — “मुझे तुम्हारी सहायता करके बड़ी खुशी हुई पर तुम इन झाड़ियों में क्यों पड़े थे, यह तो बताओ।”
वह आदमी बोला — “एक राक्षस ने मेरी बेटी को चुरा लिया है। जैसे ही उसने मेरी बेटी को यहाँ आ कर पकड़ा, तो मैं यहाँ आ कर छिप गया।”
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राजकुमार ने पूछा — “तो क्या वह तुम्हारी बेटी को यहाँ से उठा कर ले गया है?”
“हाँ, उसने उसको अपनी एक उँगली और अँगूठे के बीच में दबाया और ले उड़ा। मैं तो बिल्कुल गूँगा सा हो गया और खाँस भी न सका।”
“यह तो बड़ा बुरा हुआ। वह उसे किस तरफ ले गया है?”
“वह उसे भूखे कुत्ते, थकी हुई जादूगरनी और खाई के पार बने दरवाजे के उस पार ले गया है।”
ऐसा उस छोटे आदमी ने राजकुमार को बताया।
राजकुमार ने दोहराया — “भूखे कुत्ते, थकी हुई जादूगरनी और खाई के पार बने दरवाजे के उस पार। मैं तुरन्त ही जाता हूँ और तुम्हारी बेटी को ले कर आता हूँ। मगर वह देखने में है कैसी?”
उस आदमी ने जवाब दिया — “गाल उसके सेब जैसे लाल हैं, आँखें उसकी सेब के बीज जैसी कत्थई हैं और स्वभाव उसका सेब के रस जैसा मीठा है। अगर तुम ….।”
यह सुनते ही राजकुमार को इन्तजार कहाँ? इसी लड़की की तो तलाश थी उसको। सो वह तो यह जा और वह जा। वह तुरन्त ही अपने घोड़े पर सवार हो गया और दौड़ चला।
वह हवा की गति से भागा जा रहा था कि एक कुत्ते का घर आया। कुत्ता अपने घर से निकल कर भौंकने लगा — “राजकुमार, राजकुमार, तुम कहाँ जा रहे हो?”
राजकुमार बोला — “मैं राक्षस के किले को जा रहा हूँ जहाँ सेब जैसे सुर्ख गाल वाली, सेब के बीज जैसी कत्थई रंग की आँख वाली और सेब के रस जैसे मीठे स्वभाव वाली लड़की कैद है।”
कुत्ता बोला — “मैं बहुत भूखा हूँ। पहले मुझे हड्डी दो तभी मैं तुमको जाने दूँगा।”
राजकुमार बोला — “तुम भूखे हो तो मेरे पास हड्डी तो नहीं है पर मेरा खाना तुम ले सकते हो। यह लो कुछ रोटियाँ और इन्हें खा कर अपनी भूख मिटाओ।” कह कर राजकुमार ने उसे अपनी सारी रोटियाँ दे दीं।
कुत्ते ने खुशी से वह रोटियाँ खाईं और राजकुमार से बोला — “जाओ राजकुमार, भगवान करे कि तुम उस लड़की को छुड़ाने में कामयाब हो मगर याद रखना अगर तुम्हें वह लड़की कहीं दिखायी न दे तो वहाँ एक सेब रखा होगा वह सेब उठा लेना।”
राजकुमार फिर अपने घोड़े पर चढ़ा और कुत्ते के ऊपर से छलाँग लगा दी। हवा की गति से अपने घोड़े को दौड़ाता हुआ वह जादूगरनी के घर के पास आया।
जादूगरनी ने पूछा — “राजकुमार, तुम कहाँ जा रहे हो?”
राजकुमार ने जवाब दिया — “मैं राक्षस के किले को जा रहा हूँ जहाँ सेब जैसे सुखगाल वाली, सेब के बीज जैसी कत्थई रंग की आँख वाली और सेब के रस जैसे मीठे स्वभाव वाली लड़की कैद है।”
जादूगरनी ने कहा — “मुझे सोने के लिये एक कम्बल चाहिये। जब तुम मुझे एक कम्बल दोगे तभी मैं तुम्हें जाने दूँगी।”
राजकुमार बोला — “तुम थकी हुई हो। मेरे पास कम्बल तो नहीं है पर मेरे पास यह मखमली कोट है यह तुम ले सकती हो, यह लो।” यह कह कर राजकुमार ने उसे अपना लम्बा मखमली कोट उसे दे दिया।
जादूगरनी ने वह लम्बा कोट अपने शरीर के चारों तरफ लपेट लिया और बोली — “अब तुम जा सकते हो राजकुमार। भगवान करे कि तुम उस लड़की को छुड़ाने में कामयाब हो। पर हाँ याद रखना अगर तुम्हें वह लड़की न मिले तो वहाँ एक सेब रखा होगा उसको जरूर उठा लेना।”
राजकुमार जादूगरनी के मकान के ऊपर से छलाँग लगाता हवा की सी तेज़ी के साथ फिर उस लड़की की खोज में चल दिया। और अब आया वह खाई के पार एक बड़े दरवाजे के पास।
“चीं चीं, राजकुमार तुम कहाँ जा रहे हो?” दरवाजे ने पूछा।
“मैं? मैं राक्षस के किले को जा रहा हूँ जहाँ सेब जैसे सुखगाल वाली, सेब के बीज जैसी कत्थई रंग की आँख वाली और सेब के रस जैसे मीठे स्वभाव वाली लड़की कैद है।” राजकुमार ने कहा।
“चीं चीं, पहले मेरे जोड़ों में तेल लगाओ तभी मैं तुम्हें यहाँ से जाने दूँगा।” दरवाजे ने कहा।
राजकुमार बोला — “ओह, तुम्हारे जोड़ों में तो बहुत जंग लगी है। मेरे पास कोई तेल तो नहीं है, हाँ थोड़ा साबुन है, वही ले लो।” कह कर उसने दरवाजे के जोड़ों में थोड़ा सा साबुन लगा दिया।
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दरवाजा खुश हो कर बोला — “जाओ राजकुमार जाओ, भगवान करे कि तुम उस लड़की को छुड़ाने में कामयाब हो पर एक बात याद रखना, अगर तुम्हें वहाँ वह लड़की दिखायी न दे तो वहाँ एक सेब रखा होगा उसको जरूर उठा लेना।”
राजकुमार ने दरवाजे के ऊपर से छलाँग लगायी और फिर घोड़ा नचाता चला गया। आखिर वह राक्षस के किले पर पहुँचा। वह सीधा घोड़े को सीढ़ियाँ चढ़ाता सामने वाले दरवाजे पर पहुँचा।
वह किले के पीछे पहुँचा पर उसे न तो वहाँ कोई राक्षस दिखायी दिया और न ही वह लड़की। वह आगे वाले कमरे में गया पर वहाँ भी उसको कोई दिखायी नहीं दिया।
वह रसोई में गया वहाँ भी उसे न राक्षस दिखायी दिया न वह लड़की। अब वह उस राक्षस के सोने के कमरे में पहुँचा।
वहाँ उसने खर्राटों की आवाज सुनी। उसने अन्दर झाँक कर देखा तो राक्षस गहरी नींद सो रहा था और पास ही एक तश्तरी में एक सेब रखा हुआ था।
तभी राजकुमार को याद आया कि सभी ने उससे क्या कहा था। “हाँ, हाँ अगर तुम्हें वह लड़की वहाँ दिखायी न दे तो वहाँ एक सेब रखा होगा उसको जरूर उठा लेना।”
सो उसने हाथ बढ़ा कर वह सेब उठा लेना चाहा पर उसके छूने से पहले ही वह सेब एक लड़की में बदल गया जिसके गाल सेब की तरह सुर्ख थे और आँखें सेब के बीजों की तरह कत्थई रंग की थीं। लड़की ने रो कर कहा — “राजकुमार, मुझे बचा लो।”
राजकुमार बोला — “आओ चलें, मेरा घोड़ा नीचे खड़ा है।”
और वे दोनों वहाँ से भाग लिये। राजकुमार ने लड़की को घोड़े पर बिठाया और दौड़ चला।
तभी राक्षस की आँख खुल गयी। वह वहीं से चिल्लाया — “दरवाजे, दरवाजे, रोको उसे।”
दरवाजा बोला — “मैं नहीं रोकूँगा उसको, उसने मेरे जोड़ों में साबुन लगाया है। राजकुमार, तुम जाओ।” और राजकुमार उस लड़की को ले कर दरवाजे के ऊपर से निकल गया।
अब राक्षस उनके पीछे भागा और चिल्लाया — “जादूगरनी जादूगरनी, उसे रोको, देखो वह जाने न पाये।”
जादूगरनी बोली — “मैं नहीं रोकूँगी उसे, उसने मुझे सोने के लिये मखमली कोट दिया है। राजकुमार, तुम जाओ। भाग जाओ यहाँ से।”
और राजकुमार अपना घोड़ा दौड़ाता हुआ वहाँ से चला गया। राक्षस अपनी पूरी गति से भाग रहा था। वह फिर चिल्ला कर बोला — “ओ कुत्ते, रोक ले उसको, जाने नहीं देना।”
कुत्ता बोला — “मैं नहीं रोकूँगा उसको। उसने मुझे खाना दिया है। जाओ राजकुमार जाओ।” और राजकुमार आगे बढ़ गया।
जब राक्षस पीछे से आया तो कुत्ते ने उसके पैर में काट लिया और फिर पकड़ लिया।
राजकुमार भागता ही गया और भागता ही गया जब तक कि वह झाड़ियों की कतार नहीं आ गयी जहाँ उस लड़की का पिता छिपा हुआ था।
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घोड़े की टाप की आवाज सुन कर वह आदमी फिर से वहीं छिप गया था। राजकुमार ने फिर उसकी टाँग पकड़ कर उसको बाहर निकाला। असल में वह आदमी घोड़े की टाप की आवाज सुन कर डर गया था और फिर से झाड़ियों में छिप गया था।
उसे अपनी बेटी पा कर बड़ी खुशी हुई और राजकुमार के कहने पर उसने अपनी बेटी की शादी राजकुमार से कर दी।
राजकुमार को अपनी मन पसन्द पत्नी मिल गयी थी। वह उसको ले कर खुशी खुशी घर वापस आ गया और उससे शादी कर के आराम से रहने लगा।