मीठी नीम अन्य नाम:
Murraya koenigii
Bergera koenigii
यह एक झाड़ीनुमा छोटा पेड़ होता है जो सामान्यतः 10- 12 फ़ीट की ऊचांई तक बढ़ता है। इसको 16 फ़ीट या बड़े गमले में या जमीन में लगा सकते है। गमले में ये 4-5 साल तक ही चलता है और बार बार कंटाई छंटाई की जरूरत पड़ती है। इसको 4-5 साल बाद गमले से निकाल कर जमीन में लगा देना चाहिए। इसको अच्छी बढ़वार के लिये खुली धूप चाहिए। घर पर जहां 4-5 घण्टे की धूप आती है वहाँ भी इसको लगाया जा सकता है।
इसको बीज से आसानी से उगाया जा सकता है। बारिश के मौसम में इसके बीज पक जाते है जिनको तोड़ने के साथ ही लगा देना चाहिए क्योंकि इसके बीज सूखने के बाद सही से नही उग पाते।
नर्सरियों में इसका पौधा 20-30 रूपये में आसानी से मिल जाता है।
मीठी नीम (कड़ीपत्ता) का उपयोग
- कड़ी पत्ते के पौधे की पत्तियों का ही दवाओं और रसोई में उपयोग किया जाता है।
- ये ऐंटी-डायबिटीक, ऐंटीऑक्सीडेंट, ऐंटीमाइक्रोबियल ऐंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है। साथ ही यकृत को सही रखने (हेपेटोप्रोटेक्टिव) में भी ये सहायक होती है। कढ़ी पत्ता कोलेस्ट्रॉल के नियंत्रण में भी सहायक होता है।
- इसे लम्बे और स्वस्थ बालों के लिए भी उपयोगी माना जाता है।
- कढ़ी पत्ते का सबसे अधिक उपयोग रसेदार व्यंजनों में होता है। इसके अंदर टैनिन्स और अल्केलोइड्स के साथ साथ कई जरूरी मिनरल्स जैसे तांबा, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन विटामिन व काफी मात्रा में फाइबर होते है।
- इसकी पत्तियों को पीस कर चटनी भी बनाई जा सकती है
- भारत के कई क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल सब्ज़ी के छौंक में किया जाता है। इसकी पत्तियों का इस्तेमाल वड़ा, रसम और कढ़ी बनाने में भी किया जाता है। इसकी ताज़ी पत्तियां ही इस्तेमाल करनी चाहिए।
- हर रोज इसकी चार पांच पत्तियां चबाकर खाई जा सकती है, उबाल कर भी ले सकते है। सब्ज़ी में डाल कर भी खाया जा सकता है। इसकी पत्तियों का सेवन मधुमेह, डायरिया को ठीक करने के साथ ही दिल को मजबूत और त्वचा को सुंदर बनाने में मदद करती है।
- इसकी पतियों को चबाने से मुंह की दुर्गंध से राहत मिलती है। एनीमिया को दूर करने में भी ये सहायक है
- कड़ी पत्ते का ज्यादा सेवन मधुमेह की दवाई सेवन कर रहे व्यक्ति में रक्त शर्करा को ज्यादा कम कर सकता है।
- इसके ज्यादा सेवन से गैस बनना और दिल पर जलन जैसी समस्या हो सकती है। अतः इस्तेमाल में सावधानी जरूरी है।