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हीन भावना से कैसे करें खुद को मुक्त?

 

हीन भावना एक निराधार अवधारणा है। इस भावना की जड़ का कारण वह व्यक्ति होता है जो आदर्श भावना की चाह में इसे विकसित कर लेता है। लेकिन वास्तविकता यह है कि आदर्शवाद को कभी भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इस संसार में आदर्शवाद का अस्तित्व केवल मन के उच्च स्तर पर है, जबकि वास्तविक जीवन में यह व्यवहारिकता में काम करता है। अगर आप इस सच का पता लगा लेते हैं तो आप तुरंत ही इस हीन भावना से खुद को मुक्त कर लेंगे।

मेरी बहन हमेशा उदास रहती है और हर व्यक्ति के बारे में नकारात्मक सोचती है। मैं उसे कैसे संभालू?सामान्य तौर पर, मैं यह कह सकता हूं कि ज्यादातर लोग सोचते हैं कि उन्हें एक आदर्श जीवन चाहिए। एक औरत एक आदर्श पति और आदर्श परिवार चाहती है और एक पति की चाहत एक आदर्श पत्नी और परिवार की होती है, जो इस संसार में संभव नहीं है। अगर प्रकृति के नियम को समझ लिया जाये तो जीवन में कभी कोई तनाव नहीं होगा। मैंने अखबार में पढ़ा था कि शाहरूख खान जब अमेरिका की यात्रा कर रहे थे तो उन्हें एयरपोर्ट पर दो घंटे तक रोका गया और चेक किया गया। लोगों ने इस बात पर शोर मचाया और कहा कि अमेरिकन को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। मैं सोचता हूं कि शाहरूख खान और बाकी अन्य लोगों को इस बात को इस तरह देखना चाहिए: यह केवल दो घंटे के लिए हुआ था लेकिन जल्द ही वो दिन नजदीक आ रहा है जब सबकुछ के लिए मेरी भी जांच होगी। यह सब भविष्य में सबके लिए होगा, अगर ऐसा सोचते तो हम यह सब जल्द ही भूल जाते। यह इसलिये होता है क्योंकि लोग एक नकारात्मक सबक सीखते हैं। एक सकारात्मक व्यक्ति ही ऐसी घटनाओं से एक सकारात्मक सबक सीख सकता है।

हमें बताया जाता है कि बोर्ड परीक्षा छात्रों के लिए निर्णायक होते हैं लेकिन डर और अनिश्चितता मुझे परेशान करती है। इन भावनाओं ने मुझे भविष्य के प्रति आशंकित भी कर दिया है। मेरे कुछ दोस्तों का कहना है कि अगर उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा तो वो आत्महत्या कर लेंगे।

मेरे अनुभव के अनुसार, इस तरह का कुछ भी जीवन में निर्णायक नहीं होता। जीवन में सबसे महत्वपूर्ण ईमानदारी और दृढ़ता होती है। माता-पिता को बच्चों में इस भावना को बढ़ावा देना चाहिए। किसी परीक्षा में चुनाव होना अच्छा है लेकिन केवल किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश पाने के लिए, भविष्य में एक अच्छा जीवन पाने के लिए यह जरूरी नहीं है। माता-पिता को अपने बच्चों को जीवन के सिद्धांतों के बारे में अवश्य शिक्षित करना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि उनके अंदर धैर्य, बुद्धिमत्ता और सामंजस्य जैसे गुणों का विकास हो। उन्हें बच्चों को यथार्थवादी सोच की महत्ता को समझने में मदद करनी चाहिए। उन्हें अवश्य सिखाना चाहिए कि असफलता से कैसे सीखें और यह जानें कि जीवन में सबकुछ पाना मायने नहीं रखता है। वास्तविक जीवन में कई ऐसी चीजें होती हैं जो अकेले ही उपयोगी होती है। अगर आप परीक्षा में टॉप करते हैं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं कि आप जीवन में भी टॉप स्थान पर हों। अगर आप जीवन के सिद्धांत के प्रति जागरूक हैं तो सफलता आपका अनुसरण जरूर करेगी। आपने बताया कि आपके दोस्त आत्महत्या के बारे में बात करते हैं, तो आप जान लें कि आत्महत्या कोई विकल्प नहीं है। अपनी क्षमताओं को समझें और फिर आपको महसूस होगा कि आत्महत्या करने के बारे में सोचना खुद को और निर्माता को कमतर आंकने के समान है।

मुझे लगता है कि मेरा एक अलग व्यक्तित्व है जिसने एक सख्त संरक्षक की तरह मुझे अपने वश में कर रखा है। अपने दोस्तों की बराबरी में आने का दबाव मुझे परेशान करता है और इस कारण मैं खुद को एकाग्रित नहीं कर पाता। मैं इस समस्या से कैसे निपटूं?

अपने दोस्तों को आदर्श समझकर उनसे स्पर्धा ना करें। हजारों ऐसी किताबें हैं जो सफल व्यक्तियों के जीवन पर चर्चा करती है। आपको इन किताबों को पढ़ना चाहिए और ऐसे लोगों के जीवन से कुछ सबक सीखने की कोशिश करनी चाहिए।

पढ़ाई का बहुत ज्यादा तनाव मुझे नर्वस कर रहा है। कभी-कभी तो मैं बिल्कुल खाली हो जाता हूं। मैं टूटने के कगार पर हूं। मैं चाहता हूं कि मेरे परिवारवाले मुझसे और अधिक बातचीत करे लेकिन उन्होंने यह कहकर मुझे अकेला छोड़ दिया है कि ऐसा करने से मेरी पढ़ाई में खलल पड़ेगी। मैंने घर से दूर भागने तक के बारे में सोच लिया है…

आपका परिवार स्नेहवश ऐसा कर रहा है। वास्तव में वो आपको अधिक समय दे रहे हैं ताकि आप खुद की क्षमताओं को तलाश सकें। फिर यह शिकायत क्यों? इसे एक अवसर समझें। आपकी किताबें आपकी सबसे अच्छी दोस्त है। खुद के भरोसे जीना सीखें। ऐसा करने पर आप दूसरों के प्रति शिकायत नहीं होगी। आपके इस व्यवहार का दूसरा नाम यह है कि आप खुद को कमतर समझ रहे हैं। सफल व्यक्ति के जीवन के बारे में जानना उतना ही जरूरी है जितना परिवार के सदस्यों के संपर्क में रहना। पूर्वज आपके जीवन का मार्गदर्शन करते हैं जबकि शब्द आपको केवल भावनात्मक संतुष्टि देते हैं। माता-पिता, दोस्त और स्कूल से आगे भी एक संसार है। आपको इस संसार के बारे में और अधिक सीखने की कोशिश करनी चाहिए। और उस व्यक्ति का शुक्रिया अदा करें जो आपसे मिलने कम आते हैं ताकि आप खुद को समय दे सकें।

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