“मैं फतेहपुर हूं” – 198 साल की कहानी
हां! “मैं फतेहपुर हूं” दो नदियों के बीच बसे, गंगा-यमुना के दोआबे में अपनी पहचान बनाने वाला, 198 साल पुराना जिला। जब मैंने अपनी यात्रा शुरू की थी, तो मेरे पास कुछ भी नहीं था—सिर्फ मिट्टी, पानी, और एक सपना था। लेकिन वक्त के साथ, मैंने खुद को एक ताकतवर पहचान दी।
मेरे इतिहास में कई दिग्गजों की छाप है। महर्षि भृगु की तपोस्थली, यहां के पौराणिक स्थल, और 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की गवाही देने वाले स्थान—मैंने ये सब देखा है। मेरी धरती पर सैकड़ों साल पुरानी कहानियाँ बसी हैं, और प्रत्येक कहानी में संघर्ष, वीरता, और एक अडिग इरादा है।
मैंने उस समय को भी देखा जब मुगलों का दौर था, जब औरंगजेब ने खजुहा में अपनी बागबादशाही बनाई, और फिर ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन आने के बाद मेरे भाग्य को फिर से लिखा गया। 1801 में मैंने उप-विभाग का दर्जा पाया और 1826 में फतेहपुर को जिला मुख्यालय के रूप में स्थापित किया गया। यह सब मेरे इतिहास का हिस्सा है।
आज मैं 198 साल का हो चुका हूं, लेकिन मेरी यात्रा यहीं खत्म नहीं होती। विकास की आस अभी भी है, और मुझमें बहुत कुछ होने की उम्मीदें अभी बाकी हैं। मैं एक क्षेत्र हूं जहां हर गांव, हर गली, और हर सड़क की अपनी एक अलग कहानी है। यहां के लोग, यहां की धरती, और यहां का हर एक स्थान अपने आप में एक इतिहास है।
अब मैं भविष्य की ओर देखता हूं, जब मेरी पहचान और बढ़ेगी। हर नए दिन के साथ, मैं अपने अस्तित्व को और मजबूत करता हूं। मेरे विकास की एक लंबी यात्रा जारी है, और मेरे 198 साल एक यादगार यात्रा बन चुके हैं। एक दिन, मुझे पूरी दुनिया जानने लगेगी, क्योंकि “मैं फतेहपुर हूं”, और मेरी यात्रा कभी खत्म नहीं होती।
फतेहपुर! ❤💐🎂