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’मुझे प्रसिद्धि नहीं, शांति चाहिए’, Big B ने अपने ब्लॉग में लिख डाला है चमचमाती दुनिया का सच

प्रसिद्धि और शोहरत की भी लोगों को कीमत चुकानी पड़ती है. हम सोचते हैं कि सितारों की ज़िन्दगी ऐश-ओ-आराम भरी होती है, जिसमें उन्हें किसी तरह की कोई तकलीफ़ नहीं होती. लेकिन सच्चाई इससे बहुत परे है. उन्हें फ़ेमस होने की कीमत चुकानी पड़ती है अपनी निजता से समझौता कर के. उनकी ज़िन्दगी को लोग निजी नहीं, सार्वजनिक समझने लगते हैं. उनके बारे में अफ़वाहें फैलाई जाती हैं, उन्हें कोई प्राइवेसी नहीं दी जाती. इसी दर्द को बयां करता है अमिताभ बच्चन का ब्लॉग, जिसमें उन्होंने कहा है कि अब उन्हें प्रसिद्धि नहीं, शान्ति चाहिए.

सदी के महानायक कहलाने वाले अमिताभ बच्चन, 75 साल की उम्र में भी काम कर रहे हैं. फ़िल्मी पर्दे के साथ वो छोटे पर्दे पर भी नज़र आ रहे हैं, साथ ही वो कई विज्ञापनों में भी नज़र आते हैं. उन्होंने इस ब्लॉग में कहा है कि उनकी सुर्ख़ियों में रहने की कोई लालसा नहीं रही है.

रविवार को उन्होंने अपने ब्लॉग ‘बच्चन बोल’ में कई बातें लिखीं. उन्होंने मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए और बताया कि किस तरह उन्हें प्रसिद्धि के कारण कई बार बेवजह परेशान होना पड़ा है.

दरअसल, कुछ दिन पहले बीएमसी की तरफ़ से ग़ैरक़ानूनी निर्माण संबंधी एक नोटिस जारी किया गया था. उन्होंने इतिहास के पन्नों को पलटते हुए बताया कि बोफ़ोर्स कांड के समय उनके परिवार को कई सालों तक सवालों के कटघरे में खड़ा किया गया था.

किसी ने उन्हें गद्दार कहा, तो किसी ने चोर. वो न्याय पाने के लिए यूके की अदालत में गए, उन्होंने यूके के एक अख़बार पर केस किया और वो केस जीते भी. लगभग 25 साल बाद देश के एक प्रमुख वकील ने सभी को बताया कि इस कांड में उनके परिवार का नाम जानबूझ कर जोड़ा गया था. जब यह बात सामने आई तो मीडिया ने उनसे पूछा कि क्या वो इसका बदला लेंगे.

अमिताभ ने लिखा, ”मैं क्या बदला लूंगा? क्या इससे वो दुख खत्म हो जायेगा जिससे वो गुज़रे हैं.”

पनामा पेपर्स लीक मामले में भी बच्चन परिवार का नाम शामिल हुआ था.

उन्होंने लिखा, “इस ख़बर के बाद से हमारे नाम पर 6 समन जारी हो चुके हैं. जहां कहीं भी हमें व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा गया, हम वहां हाज़िर भी हुए, फिर चाहे वो दिल्ली हो या मुंबई. वे हमसे जितनी जानकारी चाहते थे हमने दी. मीडिया वाले किसी भी ख़बर को प्रकाशित करने से पहले उसे जांचते-परखते हैं. इसी सिलसिले में वो मुझ तक अपने सवाल भेजते हैं. कई बार जवाब देना बहुत ज़रूरी हो जाता है, क्योंकि झूठे आरोपों पर चुप रहने से वो सच मान लिए जाते हैं.”

ब्लॉग के अंत में अमिताभ ने लिखा, “उम्र के इस पड़ाव में आकर मैं शांति चाहता हूं. अपने जीवन के बचे हुए कुछ अंतिम सालों को मैं अपने हिसाब से जीना चाहता हूं, मुझे किसी तरह के विशेषणों की ज़रूरत नहीं है, मुझे इनसे घृणा होने लगी है, मुझे सुर्खियों में रहने की लालसा नहीं, मैं इसके लायक नहीं हूं, ना ही मैं कहीं कोई पहचान बनाना चाहता हूं, मैं इसके योग्य भी नहीं हूं.

अमिताभ ने अपना ब्लॉग ट्विटर पर भी साझा किया है. ये ब्लॉग एक झलक है प्रसिद्ध लोगों के जीवन के उस पहलू की, जिसे हम सब अनदेखा कर देते हैं.

 

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