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कंजूस और उसका सोना ईसप की कहानी Kanjoos Aur Uska Sona Aesop’s Fable Story in Hindi

कंजूस और उसका सोना ईसप की कहानी Kanjoos Aur Uska Sona Aesop's Fable Story in Hindi

एक गाँव में एक अमीर जमींदार रहता था। वह जितना अमीर था, उतना ही कंजूस भी। अपने धन को सुरक्षित रखने का उसने एक अजीब तरीका निकाला था।

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वह धन से सोना खरीदता और फिर उस सोने को गलाकर उसके गोले बनाकर अपने एक खेत में एक पेड़ के नीचे गड्ढा खोदकर डाल देता था।

रोज़ खेत जाना और गड्ढे को खोदकर सोने के गोलों की गिनती करना उसकी दिनचर्या का हिस्सा था। इस तरह वह सुनिश्चित करता था कि उसका सोना सुरक्षित है।

एक दिन एक चोर ने कंजूस आदमी को गड्ढे में से सोना निकालकर गिनते हुए देख लिया। वह छुपकर उसके जाने का इंतज़ार करने लगा। जैसे ही कंजूस आदमी गया, वह गड्ढे के पास पहुँचा और उसमें से सोना निकालकर भाग गया।

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अगले दिन जब कंजूस आदमी खेत में गड्ढे के पास पहुँचा, तो सारा सोना नदारत पाकर रोने-पीटने लगा। उसके रोने की आवाज़ वहाँ से गुजरते एक राहगीर के कानों में पड़ी, तो वह रुक गया।

उसने कंजूस आदमी से रोने का कारण पूछा, तो कंजूस आदमी बोला, “मैं लुट गया। बर्बाद हो गया। कोई मेरा सारा सोना लेकर भाग गया। अब मैं क्या करूंगा?”
“सोना? किसने चुराया? कब चुराया?” राहगीर आश्चर्य में पड़ गया।

कंजूस और उसका सोना ईसप की कहानी Kanjoos Aur Uska Sona Aesop's Fable Story in Hindi

“पता नहीं चोर ने कब इस गड्ढे को खोदा और सारा सोना लेकर नौ दो ग्यारह हो गया। मैं जब यहाँ पहुँचा, तो सारा सोना गायब था।” कंजूस आदमी बिलखते हुए बोला।

“गड्ढे से सोना ले गया? तुम अपना सोना यहाँ इस गड्ढे में क्यों रखते हो? अपने घर पर क्यों नहीं रखते? वहाँ ज़रूरत पड़ने पर तुम उसका आसानी से उपयोग कर सकते हो।” राहगीर बोला।

“मैं अपने सोने को कभी हाथ नहीं लगाता। मैं उसे सहेजकर रखता हूँ और हमेशा रखता, यदि वो चोर उसे चुराकर नहीं ले जाता।” कंजूस आदमी बोला।

यह बात सुनकर राहगीर ने जमीन से कुछ कंकड़ उठाये और उसे उस गड्ढे में डालकर बोला, “यदि ऐसी बात है, तो इन कंकडों को गड्ढे में डालकर गड्ढे को मिट्टी ढक दो और कल्पना करो कि यही तुम्हारा सोना है, क्योंकि इनमें और तुम्हारे सोने में कोई अंतर नहीं है। ये भी किसी काम के नहीं और तुम्हारा सोना भी किसी काम का नहीं था। उस सोने का तुमने कभी कोई उपयोग ही नहीं किया, न ही करने वाले थे। उसका होना न होना बराबर था।”

सीख : जिस धन का कोई उपयोग न हो, उसकी कोई मोल नहीं।

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