Gazab Adda
अजब गज़ब दुनिया की हिंदी खबरे

मृत्युदंड की धमकी तेनालीराम की कहानी Mrityu Dand Ki Dhamki Story in Hindi

मृत्युदंड की धमकी तेनालीराम की कहानी Mrityu Dand Ki Dhamki Story in Hindi

थट्टाचारी कृष्णदेव राय के दरबार में राजगुरु थे। वे तेनालीराम से बहुत ईर्ष्या करते थे। उन्हें जब भी मौका मिलता तो वे तेनालीराम के विरुद्ध राजा के कान भरने से नहीं चूकते थे।
एक बार क्रोध में आकर राजा ने तेनालीराम को मृत्युदंड देने की घोषणा कर दी, परंतु अपनी विलक्षण बुद्धि और हाजिरजवाबी से तेनालीराम ने जीवन की रक्षा की।

हमारे इस कहानी को भी पड़े : रंग-बिरंगे नाखून तेनालीराम की कहानी

एक बार तेनालीराम ने राजा द्वारा दी जाने वाली मृत्युदंड की धमकी को हमेशा के लिए समाप्त करने की योजना बनाई। वे थट्टाचारी के पास गए और बोले, ‘महाशय, एक सुंदर नर्तकी शहर में आई है। वह आपके समान किसी महान व्यक्ति से मिलना चाहती है।

उसने आपकी काफी प्रशंसा भी सुन रखी है। आपको आज की रात उसके घर जाकर उससे अवश्य मिलना चाहिए, परंतु आपकी बदनामी न हो इसलिए उसने कहलवाया है कि आप उसके पास एक स्त्री के रूप में जाइएगा।’
थट्टाचारी तेनालीराम की बातों से सहमत हो गए।

हमारे इस कहानी को भी पड़े : अन्तिम इच्छा की कहानी

मृत्युदंड की धमकी तेनालीराम की कहानी Mrityu Dand Ki Dhamki Story in Hindi

इसके बाद तेनालीराम राजा के पास गए और वही सारी कहानी राजा को सुनाई। राजा की अनेक पत्नियां थीं तथा वे एक और नई पत्नी चाहते थे अतः वे भी स्त्री के रूप में उस नर्तकी से मिलने के लिए तैयार हो गए।

शाम होते ही तेनालीराम ने उस भवन की सारी बत्तियां बुझा दीं, जहां उसने राजगुरु और राजा को बुलाया था। स्त्री वेश में थट्टाचारी पहले पहुंचे और अंधेरे कक्ष में जाकर बैठ गए। वहीं प्रतीक्षा करते हुए उन्हें पायल की झंकार सुनाई दी।

उन्होंने देखा कि एक स्त्री ने कमरे में प्रवेश किया है, परंतु अंधेरे के कारण वह उसका चेहरा ठीक से नहीं देख पाए। वास्तव में राजगुरु जिसे स्त्री समझ रहे थे वह स्त्री नहीं, बल्कि राजा ही थे और वार्तालाप शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहे थे। थोड़ी देर पश्चात कमरे की खिड़की के पास खड़े तेनालीराम को आवाज सुनाई पड़ी।

‘प्रिय, तुम मुझे अपना सुंदर चेहरा क्यों नहीं दिखा रही हो?’ थट्टाचारी मर्दाना आवाज में बोले।
राजा ने राजगुरु की आवाज पहचान ली और बोले, ‘राजगुरु, आप यहां क्या कर रहे हैं?’

राजगुरु ने राजा की आवाज पहचान ली। शीघ्र ही वे दोनों समझ गए कि तेनालीराम ने उन्हें मूर्ख बनाया है। दोनों ने कक्ष से बाहर आने का प्रयास किया, परंतु तेनालीराम ने द्वार बाहर से बंद कर उस पर ताला लगा दिया था।
वह खिडकी से चिल्लाया, ‘यदि आप दोनों यह वचन दें कि भविष्य में कभी मृत्युदंड देने की धमकी नहीं देंगे तो मैं दरवाजा खोल दूंगा।’

मृत्युदंड की धमकी तेनालीराम की कहानी Mrityu Dand Ki Dhamki Story in Hindi

महाराज को तेनालीराम के इस दुस्साहस पर बहुत ही क्रोध आया, पर इस परिस्थिति में दोनों अंधकारमय कक्ष में असहाय थे और तेनालीराम की इस हरकत का उसे मजा भी नहीं चखा सकते थे।
ऊपर से दोनों को बदनामी का डर अलग था और दोनों के पास अब कोई रास्ता भी नहीं बचा था इसलिए दोनों ने ही तेनालीराम की बात मान ली।

4.7/5 - (4 votes)
You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.