पिपीना साँप की पारी कहानी
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एक बार इटली में एक अमीर व्यापारी रहता था जिसके पाँच बच्चे थे – चार बेटियाँ और एक बेटा। उसका बेटा सबसे बड़ा था। उसका नाम था बाल्डेलौन ।
व्यापारी की किस्मत ने पलटा खाया और वह अमीर से गरीब हो गया। अब वह केवल माँग कर ही खा पी पाता था। उसकी यह हालत और भी खराब होने वाली थी क्योंकि उसकी पत्नी को छठा बच्चा होने वाला था।
बाल्डेलौन ने देखा कि उसका परिवार बड़ी कठिनाई के समय से गुजर रहा है सो उसने घर छोड़ने का निश्चय कर लिया। उसने सबको गुड बाई कहा और फ्रांस के लिये चल दिया।
वह एक पढ़ा लिखा नौजवान था सो जब वह पेरिस पहुँचा तो उसको वहाँ के शाही महल में काम मिल गया और फिर वह वहाँ कैप्टेन बन गया।
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घर में पत्नी ने पति से कहा — “अब बच्चा आने को है और हमारे पास बच्चे की कोई चीज़ नहीं है। हम अपनी आखिरी चीज़ अपनी खाने की मेज बेच देते हैं ताकि हम बच्चे की कुछ चीज़ें खरीद सकें।”
उन्होंने कुछ ऐसे लोगों को बुलाया जो पुरानी चीज़ें खरीदते थे और उनमें से एक को उन्होंने अपनी खाने की मेज बेच दी। इस तरह से वह व्यापारी अपने आने वाले बच्चे के लिये वह सब सामान खरीद सका जो उस बच्चे के लिये जरूरी था।
जब समय आया तो उनके घर में एक बेटी पैदा हुई जो बहुत सुन्दर थी। उसको देख कर उसके माता और पिता खुशी से रो पड़े। उनके मुँह से निकला — “ओ हमारी प्यारी बेटी, हमको बहुत दुख है कि तुम हमारे घर में इतनी गरीबी में पैदा हुईं।”
उन्होंने अपनी उस बेटी का नाम पिपीना रख दिया।
उनकी वह बेटी धीरे धीरे बड़ी होती गयी और जब वह 15 महीने की हो गयी तो वह अपने आप चलने लगी। जहाँ उसके माता पिता सोते थे वह वहीं भूसे में खेलती रहती थीे।
एक बार जब वह वहाँ खेल रही थी तो वह अपना हाथ बढ़ा कर चिल्लायी — “माँ माँ, देखो तो।” उसकी माँ ने देखा तो उसके उस हाथ में सोने के सिक्के थे।
उसकी माँ को तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। उसने उससे वे सिक्के लिये और अपनी जेब में रख लिये। फिर उसने बच्ची की देख भाल करने के लिये एक आया बुलायी और बच्ची को उसके पास छोड़ कर वह बाजार दौड़ी गयी।
बाजार से उसने जी भर कर बहुत सारी चीज़ें खरीदीं और दोपहर तक उसने बहुत अच्छा खाना बना कर रखा। दोपहर को वे सब बहुत अच्छा खाना खाने बैठे।
उसके पिता ने पिपीना की पीठ थपथपाते हुए पूछा — “पिपीना बताओ तो तुमको ये चमकदार चीज़ें कहाँ से मिलीं?”
और उसने भूसे में एक छेद की तरफ इशारा करते हुए कहा — “यहाँ पिता जी। यहाँ तो सिक्कों से भरा एक पूरा बड़ा सा बरतन रखा है। आपको केवल उसमें हाथ डाल कर बस उनको निकालना भर है।”
और इस तरह से वह परिवार एक बार फिर से अमीर हो गया और फिर से उसी तरीके से रहने लगा जैसे वह पहले रहता था।
जब वह बच्ची 4 साल की हुई तो उसके पिता ने अपनी पत्नी से कहा — “मुझे लगता है कि अब हमको पिपीना के ऊपर जादू करवा देना चाहिये। अब तो हमारे पास पैसा है तो हम पिपीना के ऊपर वह जादू क्यों न करवा दें?”
उन दिनों माता पिता अपने बच्चों के ऊपर जादू करवाने के लिये मौनरील के आधे रास्ते तक जाते थे जहाँ चार परी बहिनें रहतीं थीं।
सो वे लोग पिपीना को एक गाड़ी में बिठा कर वहाँ ले गये और वहाँ जा कर उन चारों बहिनों को उसको दिया। उन परियों ने उनको बताया कि क्या क्या तैयार करना है और उस व्यापारी के घर रविवार को उस रस्म को पूरा करने के लिये आने के लिये तैयार हो गयीं।
रविवार को ठीक समय पर चारों बहिनें पलेरमो आयीं। वहाँ उनके लिये जैसा उन्होंने कहा था वह सब कुछ तैयार था। उन्होंने अपने हाथ धोये, मजोरकन के आटे की चार पाई बनायीं और उनको बेक करने के लिये भेज दिया।
कुछ ही देर में बेक करने वाले की पत्नी को उन पाई की खुशबू आयी तो वह अपने आपको बिल्कुल भी नहीं रोक पायी और उसने उसमें से एक पाई निकाल कर खा ली।
फिर उसने उन बची हुई तीन पाइयों के जैसी एक दूसरी पाई बनायी। पर उसका आटा साधारण वाला आटा था और उसने उसको बनाने के लिये पानी वहाँ से लिया था जहाँ वह अपने ओवन साफ करने की झाड़ू धोती थी।
पर शक्ल में वह बिल्कुल दूसरी पाईयों जैसी ही थी और कोई उसको दूसरी तीन पाईयों से अलग नहीं कर सकता था।
जब वे चारों पाई उस व्यापारी के घर आयीं तो पहली परी ने यह कहते हुए एक पाई काटी — “मैं तुम पर यह जादू करती हूँ ओ प्यारी बेटी कि तुम जब भी अपने बालों में कंघी करो तो उनमें से मोती और दूसरे जवाहरात गिरें।”
दूसरी परी ने दूसरी पाई काटी और कहा — “मैं तुम्हारे ऊपर यह जादू करती हूँ कि तुम जितनी सुन्दर अब हो दिनों दिन उससे भी ज़्यादा सुन्दर होती जाओ।”
अब तीसरी परी उठी और तीसरी पाई काटते हुए बोली — “मैं तुम्हारे ऊपर यह जादू करती हूँ कि वह हर बेमौसमी फल जिसकी तुम इच्छा करो वह तुमको तुरन्त ही मिल जाये।”
चौथी परी ओवन की बची हुई चीज़ें भरी हुई चौथी पाई काटते हुए अपना जादू उसके ऊपर बोलने ही वाली थी कि उस पाई का एक टुकड़ा उसमें से निकल कर उसकी आँख में जा पड़ा।
परी बोली — “ओह यह तो मेरी आँख में लग गया। अब मैं तुम्हारे ऊपर यह बहुत बुरा जादू करती हूँ कि जब भी तुम सूरज को देखो तो उसके देखते ही तुम काला साँप बन जाओ।”
यह सब जादू करके वे चारों परियाँ वहीं गायब हो गयीं।
उस चौथी परी का जादू सुन कर पिपीना के माता पिता तो फूट फूट कर रो पड़े। उनकी प्यारी बेटी अब सूरज कभी नहीं देख पायेगी।
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तो अभी हम पिपीना और उसके माता पिता को यहीं छोड़ते हैं और बाल्डेलौन की तरफ चलते हैं जो फ्रांस में अपने पिता की अमीरी की शान बघार रहा था। पर यह बात तो केवल वही जानता था कि उसका पिता कितना गरीब था।
वह अक्सर उनके बारे में बड़ी बड़ी बात करता रहता था और अपनी उन डींगों से उसने अपने आस पास के सब लोगों को प्रभावित कर रखा था – जैसी कि कहावत है – जो भी विदेश जाता है वह अपने आपको या तो काउन्ट कहता है या फिर ड्यूक कहता है और या फिर लौर्ड कहता है।
फ्रांस का राजा यह जानने के लिये बहुत इच्छुक था कि बाल्डेलौन के कहने में कितनी सच्चाई थी। सो उसने अपना एक स्क्वायर पलेरमो भेजा और उसको बता दिया कि उसको वहाँ जा कर क्या करना है और क्या देखना है।
फिर आ कर वह उसको बताये कि उसने क्या देखा।
वह आदमी पलेरमो गया और बाल्डेलौन के पिता के बारे में पूछा। लोगों ने उसको एक बहुत सुन्दर महल की तरफ भेज दिया। उस महल में तो उसने बहुत सारे चौकीदार देखे।
वह उस महल के अन्दर घुसा तो उसने देखा कि उस महल की दीवारें तो सोने की हैं और अन्दर बहुत सारे नौकर चाकर घूम रहे हैं।
व्यापारी ने उस आदमी का शाही तरीके से स्वागत किया और उसको खाने के लिये खाने की मेज पर बुलाया। जब सूरज डूब गया तो वह पिपीना को भी वहाँ ले आया।
उस स्क्वायर ने जब पिपीना को देखा तो वह तो उसकी सुन्दरता से बहुत प्रभावित हो गया। उसने इतनी सुन्दर लड़की पहले कभी नहीं देखी थी। वहाँ से सब बातें देख कर वह फ्रांस लौट गया और जा कर राजा को सब बताया।
राजा ने बाल्डेलौन को बुलाया और कहा — “बाल्डेलौन, तुम पलेरमो जाओ और अपने घर जाओ और अपनी बहिन पिपीना को मेरे पास ले कर आओ। मैं उससे शादी करना चाहता हूँ।
अब बाल्डेलौन को तो यह भी पता नहीं था कि उसकी इस नाम की कोई बहिन भी थी। पर वह राजा की बातों से कुछ कुछ भाँप सका कि क्या मामला हो सकता था। उसने राजा का हुकुम माना और पलेरमो चल दिया।
पेरिस में बाल्डेलौन की एक लड़की दोस्त थी। वह उससे जिद करने लगी कि वह भी उसके साथ पलेरमो चलेगी।
जब बाल्डेलौन उस लड़की को साथ ले कर पलेरमो आया तो उसने देखा कि उसका परिवार तो बहुत अमीर हो चुका है। उसका परिवार उसको देख कर बहुत खुश हुआ। सबने मिल कर अपनी पुरानी बातें कीं।
वह अपनी नयी बहिन से मिला और अपने माता पिता को बताया कि फ्रांस का राजा उसकी उस बहिन से शादी करना चाहता था। यह सुन कर सब बहुत खुश हुए।
पर जब पेरिस से आयी लड़की ने पिपीना को देखा तो उसको उससे बहुत जलन हुई। उसको देख कर वह अब यह प्लान बनाने लगी कि उसकी जगह वह खुद रानी हो जाये।
कुछ दिनों में ही बाल्डेलौन को फ्रांस वापस लौटना था। सबने एक दूसरे को गुड बाई कहा और बाल्डेलौन फ्रांस वापस चला गया।
पेरिस पहुँचने के लिये पहले समुद्र से हो कर जाना होता है और फिर बाद में जमीन पर से। बाल्डेलौन ने पिपीना को जहाज़ में बन्द करके रखा हुआ था और उसको सूरज की एक भी किरन नहीं देखने दी थी। उसकी वह लड़की दोस्त भी उस समय उसके साथ ही थी।
जब जहाज बन्दरगाह पर पहुँचता था तो बाल्डेलौन अपनी बहिन और दोस्त को एक बड़ी सी सीडान कुरसी में बिठा कर सूरज से बचा कर बाहर ले जाता था।
जैसे जैसे पैरिस पास आता जा रहा था बाल्डेलौन की दोस्त को गुस्सा आता जा रहा था क्योंकि पेरिस पहुँच कर तो पिपीना तो रानी बन जायेगी और वह केवल एक कैप्टेन की पत्नी ही रह जायेगी। वह क्या करे कि पिपीना की बजाय वह रानी बन जाये।
इसका मतलब यह है कि उसको जो कुछ भी करना है वहाँ पहुँचने से पहले ही पहले करना है।
उसने पिपीना से कहना शुरू किया — “पिपीना, यहाँ कुछ गरमी हो रही है हम यहाँ थोड़ा सा परदा खोल देते हैं।”
पिपीना बोली — “नहीं बहिन, इससे मुझे नुकसान पहुँचेगा। मेहरबानी करके इसका परदा नहीं खोलना।”
कुछ देर बाद उस लड़की ने फिर कहा — “पिपीना, मुझे तो बहुत गरमी लग रही है।”
इस बार पिपीना कुछ नाराजी से बोली — “नहीं, तुमको कोई गरमी नहीं लग रही। चुप रहो।”
“पिपीना, मुझे बहुत घुटन हो रही है।”
“फिर भी तुमको मालूम है कि मैं यह परदा नहीं खोल सकती।”
“सचमुच?” और उस लड़की ने एक छोटा सा चाकू निकाल लिया और उससे उस सीडान कुरसी के ऊपर लगी चमड़े की छत फाड़ दी।
सूरज की एक किरन अन्दर आयी और पिपीना एक काले साँप में बदल कर सड़क पर चली गयी और राजा के बगीचे की हैज में जा कर छिप गयी।
बाल्डेलौन ने जब सीडान कुरसी खाली देखी तो वह बहुत ज़ोर से रो पड़ा — “मेरी बेचारी प्यारी बहिन। और बेचारा मैं। मैं राजा से जा कर क्या कहूँगा जो उसकी आशा में आँखें बिछाये बैठा है।”
उसकी दोस्त बोली — “तुम चिन्ता किस बात की कर रहे हो? राजा से कह देना कि मैं तुम्हारी बहिन हूँ और सब ठीक हो जायेगा।” आखिर बाल्डेलौन को यही करना पड़ा।
जब राजा ने इस लड़की को देखा तो अपनी नाक सिकोड़ी और बोला — “क्या यही वह सुन्दरता है जो बेजोड़ है? पर राजा का वायदा तो राजा का वायदा होता है सो मुझे इससे शादी तो करनी ही पड़ेगी।”
राजा ने उससे शादी कर ली और वे दोनों साथ साथ रहने लगे।
उधर बाल्डेलौन बहुत परेशान था। एक तो उसको अपनी बहिन की कमी बहुत खल रही थी और दूसरे उसे धोखा देने वाली ने राजा से शादी करने के लिये उसको छोड़ दिया था।
नयी रानी यह अच्छी तरह जानती थी कि बाल्डेलौन उसको इन दोनों बातों के लिये छोड़ेगा नहीं। इसलिये वह अब ऐसा कुछ सोचने लगी जिससे वह इस बाल्डेलौन को अपने रास्ते से हटा सके।
एक दिन उसने राजा से कहा कि उसकी तबियत ठीक नहीं है और उसको अंजीर खाने की इच्छा हो रही है। उस समय अंजीर का मौसम नहीं था सो राजा बोला — “तुम्हें साल के इस समय में अंजीर कहाँ मिलेंगी?”
“मुझे तो अंजीर चाहिये। बाल्डेलौन को बोलो वह ला कर देगा।”
राजा ने बाल्डेलौन को बुलाया — “बाल्डेलौन”
“जी योर मैजेस्टी।”
“रानी के लिये थोड़ी सी अंजीर ले कर आओ।”
“अंजीर और इस समय योर मैजेस्टी?”
राजा बोला — “चाहे उसका मौसम हो या न हो मुझे इससे कोई मतलब नहीं। जब मैंने तुमसे अंजीर लाने के लिये कहा है तो मुझे अंजीर चाहिये नहीं तो तुम्हारा सिर काट दिया जायेगा।”
दुखी और आँखें नीची किये बाल्डेलौन वहाँ से राजा के बागीचे में चला गया और वहाँ जा कर रोने लगा।
लो, वहाँ तो एक फूलों की क्यारी में से निकल कर एक काला साँप उसके पास आ गया। उसने उससे पूछा — “क्या बात है क्यों रोते हो भैया?”
यह सुनते ही बाल्डेलौन बोला — “अरे बहिन तुम यहाँ इस रूप में?”
तब पिपीना ने उसको अपनी सारी कहानी बतायी कि किस तरह से उसके साथ वाली लड़की ने उस सीडान कुरसी की छत का कपड़ा फाड़ दिया था और फिर वह किस तरह से साँप बन गयी थी।
बाल्डेलौन बोला — “बहिन। अब मैं भी बहुत मुश्किल में पड़ गया हूँ।” और उसने उसको राजा के हुकुम के बारे में बताया।
“ओह यह तो कोई सोचने की बात ही नहीं। मेरे पास एक खास ताकत है जिससे मैं बेमौसमी फल ला सकती हूँ। तुमने कहा कि तुमको अंजीर चाहिये। ठीक है।”
और देखते ही देखते वहाँ अंजीर की एक सुन्दर सी टोकरी प्रगट हो गयी।
बाल्डेलौन उस टोकरी को ले कर तुरन्त ही राजा के पास दौड़ा गया। रानी ने वे सब अंजीर खा लीं। और उसके लिये यह बड़े शरम की बात थी कि उसने बाल्डेलौन को जहर नहीं दे दिया।
तीन दिन बाद रानी को खूबानी खाने की इच्छा हुई तो उसने फिर बाल्डेलौन को बोला कि वह उसको खूबानी ला कर दे। बाल्डेलौन ने उसे फिर से बेमौसम की खूबानी ला कर दीं।
रानी की अगली इच्छा चैरी खाने की थी सो पिपीना ने अपने भाई को चैरी ला कर भी दे दीं। और फिर नाशपाती भी।
पर हम तुम लोगों को यह बताना तो भूल ही गये कि उस पिपीना के पास परियों का जादू केवल अंजीर, खूबानी और चैरी के लिये ही था नाशपाती के लिये नहीं। इसलिये वह उसको नाशपाती नहीं दे सकी।
बस अब क्या था जब बाल्डेलौन नाशपाती नहीं ला सका तो उसको मौत की सजा हो गयी। मरने से पहले जब बाल्डेलौन की आखिरी इच्छा पूछी गयी तो उसने एक ही इच्छा प्रगट की कि उसकी लाश शाही बागीचे में दफना दी जाये।
राजा बोला “ठीक है।”
बाल्डेलौन फाँसी पर लटका कर मार दिया गया और उसकी आखिरी इच्छा के अनुसार उसके शरीर को शाही बागीचे में दफना दिया गया। रानी ने चैन की साँस ली।
X X X X X X X
एक रात शाही माली की पत्नी की आँख खुली तो उसने शाही बागीचे से आती यह आवाज सुनी –
बाल्डेलौन ओ बाल्डेलौन तुम यहाँ अँधेरे में दबे हो
जबकि तुम्हारी किस्मत लिखने वाली मेरे साथी के साथ रानी की तरह से खेल रही है
यह सुन कर पत्नी ने पति को जगाया तो वे दोनों दबे पाँव उठ कर बागीचे में गये तो उन्होंने देखा कि एक काला साया कैप्टेन की कब्र से खिसक कर दूर जा रहा था।
सुबह को जब रोज की तरह वह माली राजा के लिये फूलों का गुलदस्ता बनाने के लिये बागीचे में जा रहा था तो उसने देखा कि फूलों की क्यारियों में तो मोती और जवाहरात बिखरे पड़े हैं।
उसने वे मोती और जवाहरात उठा लिये और उनको राजा के पास ले गया तो राजा उनको देख कर आश्चर्य में पड़ गया।
अगली रात माली ने अपनी बन्दूक उठायी और उसको ले कर पहरा देने लगा। आधी रात को एक साया फिर कैप्टेन की कब्र के पास मँडराने लगा और गाने लगा —
बाल्डेलौन ओ बाल्डेलौन तुम यहाँ अँधेरे में दबे हो जबकि तुम्हारी किस्मत लिखने वाली मेरे साथी के साथ रानी की तरह से खेल रही है
माली ने अपनी बन्दूक सीधी की और निशाना साध कर उसको चलाने ही वाला था कि उस साये ने कहा — “अपनी बन्दूक नीचे रख दो। मैं भी तुम्हारी तरह से बैपटाइज्ड़ और कनफम्र्ड हुई हूँ। मेरे पास आओ और ज़रा मुझे ध्यान से देखो।”
कहते हुए उस साये ने अपने चेहरे पर से परदा हटा दिया। माली ने देखा वह तो एक बेमिसाल सुन्दर लड़की थी।
फिर उस लड़की ने अपने बाल खोल दिये और उसके एक बाल से बहुत सारे मोती और जवाहरात गिर पड़े।
वह लड़की फिर बोली “यह सब जो अभी तुमने यहाँ देखा है जा कर राजा से कहना और साथ में यह भी कहना कि वह मुझसे मिलने के लिये यहाँ आये मैं उससे कल रात यहीं मिलूँगी।” यह कह कर वह साँप बन गयी और वहाँ से चली गयी।
अगली रात उस लड़की ने मुश्किल से बस यही कहा होगा – बाल्डेलौन ओ मेरे प्यारे भाई . . . .
कि राजा उसके पास आ गया। उस लड़की ने अपने चेहरे से परदा उठाया और आश्चर्य में पड़े उस राजा को अपनी आश्चर्यजनक कहानी सुनायी।
राजा ने पूछा — “तुम मुझे बताओ कि इस शाप से मैं तुमको छुटकारा कैसे दिलाऊँ?”
“तुम इसके लिये यह करो कि कल सुबह तुम एक हवा की तरह तेज़ दौड़ने वाला घोड़ा लो और उस पर सवार हो कर जोरडन नदी जाओ। वहाँ उसके किनारे पर उतर जाना।
वहाँ तुमको चार परियाँ नहाती हुई मिलेंगी। उनमें से एक परी ने अपने बालों में हरा रिबन लगाया होगा, दूसरी ने लाल, तीसरी ने नीला और चौथी परी ने सफेद।
तुम उस नदी के किनारे रखे उनके कपड़े उठा लेना। वे तुमसे अपने कपड़े माँगेंगी पर तुम उनको उनके कपड़े मत देना।
इस पर पहली परी तुम्हारे ऊपर अपना हरा रिबन फेंकेगी, दूसरी परी अपना लाल रिबन फेंकेगी, तीसरी अपना नीला रिबन फेंकेगी और चौथी परी अपना सफेद रिबन फेंकेगी।
जब चौथी परी अपना सफेद रिबन और कुछ बाल तुम्हारे ऊपर फेंके तभी तुम उनके कपड़े वापस करना। वे बाल तुम यहाँ ले आना और उनसे मुझे सहला देना। तभी मेरे ऊपर पड़ा हुआ यह जादू टूट पायेगा।”
राजा को इससे ज़्यादा सुनने की जरूरत नहीं थी। बस अगली सुबह उसने अपना सबसे तेज़ दौड़ने वाला घोड़ा लिया और उस पर सवार हो कर अपना राज्य छोड़ कर जोरडन नदी की तरफ चल दिया।
काफी चलने के बाद, 30 दिन और 30 रात, वह जोरडन नदी के किनारे पर आया। वहाँ उसको वे चार परियाँ नहाती मिल गयीं। फिर उसने वही किया जो बाल्डेलौन की बहिन ने उससे करने के लिये कहा था।
उसने नहाती हुई परियों के कपड़े उठा लिये। जब परियों ने अपने कपड़े माँगे तो राजा ने उनके कपड़े नहीं दिये। इस पर उन परियों ने अपने अपने रिबन राजा पर फेंकने शुरू कर दिये।
जब उस चौथी परी ने उसके ऊपर अपना सफेद रिबन और कुछ बाल फेंक दिये तब वह बोला — “अभी तो मैं तुमको छोड़ कर जा रहा हूँ पर विश्वास रखो कि मैं तुम्हें इसकी कीमत जरूर चुकाऊँगा।”
अपने राज्य में आ कर वह अपने बागीचे की तरफ दौड़ा और उस साँप को आवाज लगायी। उसके आने पर उसने साँप को उन बालों से सहलाया।
उन बालों को छूते ही पिपीना फिर से दुनियाँ की सबसे सुन्दर लड़की बन गयी। उसने वे बाल अपने बालों में लगा लिये और उसके बाद उसको फिर किसी का डर नहीं रहा।
राजा ने माली को बुलाया और उससे कहा — “अब तुम एक काम करो कि एक बड़ा सा पानी का जहाज़ लो और बाल्डेलौन की बहिन को रात में ही उसमें बिठा कर कहीं पास में ही चले जाओ।
फिर कुछ दिन बाद उस जहाज़ के ऊपर किसी दूसरे देश का झंडा लगा कर बन्दरगाह पर आ जाना। बाकी मैं सँभाल लूँगा।”
माली ने राजा का प्लान जैसा उसने उसको बताया था वैसे ही किया। तीन दिन बाद वह अपने जहाज़ पर अंग्रेजों का झंडा लगा कर बन्दरगाह पर ले आया।
राजा अपने महल से समुद्र देख सकता था सो जब उसने देखा कि एक विदेशी जहाज उसके बन्दरगाह पर आ कर लगा है तो उसने अपनी रानी से कहा — “यह कौन सा जहाज़ है? जरा देखो तो। लगता है कि मेरा कोई रिश्तेदार आया है। चलो उससे चल कर मिलते हैं।”
उसकी रानी जो हमेशा अपने आपको दिखाने के लिये तैयार रहती थी पलक झपकते ही जाने के लिये तैयार हो गयी। वहाँ जा कर वह उस जहाज़ पर गयी तो वहाँ तो उसने पिपीना को पाया।
उसने सोचा “जहाँ तक मुझे याद पड़ता है बाल्डेलौन की बहिन तो काला साँप बन गयी थी फिर यह यहाँ कहाँ से आ गयी। मुझे लगता है कि यह तो वही है।”
यही सोचते हुए वे दोनों उस नये आने वाले के साथ उसकी सुन्दरता की तारीफ करते हुए जहाज़ से नीचे आ गये।
राजा ने रानी से कहा — “ऐसी लड़की को जो कोई नुकसान पहुँचाये बताओ उसको क्या सजा देनी चाहिये?”
रानी बोली — “पर ऐसा कौन नीच हो सकता है जो ऐसी लड़की को नुकसान पहुँचायेगा?”
“सोचो कि अगर कोई है भी, तो उसको क्या सजा मिलनी चाहिये?”
रानी बोली — “उसको तो इस खिड़की से नीचे फेंक देना चहिये और फिर ज़िन्दा जला देना चाहिये।”
राजा तुरन्त बोला — “तुमने ठीक कहा। यही हम उसके साथ करने जा रहे हैं। यह लड़की बाल्डेलौन की बहिन है जिससे मैं शादी करने वाला था। और तुम इससे जलती थीं।
तुम इसके साथ आयीं और तुमने इसको साँप बनने पर मजबूर किया ताकि तुम इसकी जगह ले सको। अब तुम्हें मुझे धोखा देने का मजा चखना पड़ेगा। अच्छा हुआ कि तुमने अपनी सजा अपने आप ही सुना दी।”
फिर उसने अपने चौकीदारों को बुलाया और उनसे उसको खिड़की से बाहर फेंकने और फिर ज़िन्दा जलाने को कहा। जैसे ही राजा ने यह कहा चौकीदारों ने वह तुरन्त ही कर दिया।
उस झूठी को तुरन्त ही खिड़की को नीचे फेंक कर उसको महल के पास ही ज़िन्दा जला दिया गया। राजा ने बेकुसूर बाल्डेलौन को फाँसी की सजा देने के लिये उसकी बहिन से माफी माँगी।
पिपीना बोली — “जो हो गया सो हो गया उसे भूल जाओ। अब देखना यह है कि हम बागीचे में क्या कर सकते हैं।”
सो वे दोनों बागीचे में गये और बाल्डेलौन की कब्र का पत्थर उठाया। कब्र में बाल्डेलौन का शरीर अभी तक वैसा का वैसा ही रखा था।
पिपीना ने एक छोटे से ब्रश से थोड़ा सा मरहम अपने भाई की गरदन पर लगा दिया। मरहम के लगते ही वह फिर से साँस लेने लगा। फिर वह हिलने लगा और फिर उसने अपनी आँखें मलनी शुरू की जैसे वह किसी लम्बी नींद से जाग रहा हो। और फिर वह खड़ा हो गया।
सबने एक दूसरे को गले लगाया और राजा ने महल में खुशियाँ मनाने का हुकुम दिया। उन दोनों के माता पिता को भी बुला लिया गया। बड़े धूमधाम से पिपीना और राजा की शादी हो गयी।