दवा की तरह पीते थे खून
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प्राचीन रोम में खूनी लड़ाई को खेल का दर्जा मिला हुआ था। बड़े स्टेडियम को कोलोशियम कहा जाता था। यहां लड़ने वाले योद्धा ग्लैडिएटर कहलाते थे। ये ग्लैडिएटर अक्सर तब तक लड़ते, जब तक कि दोनों में से एक की मौत नहीं हो जाती। रोमन डॉक्टर्स का मानना था कि ग्लैडिएटर्स का खून मिर्गी की बीमारी ठीक कर सकता है। इसलिए लोग मरे हुए ग्लैडिएटर का खून पीते थे। कुछ लोग तो उसका लिवर निकालकर कच्चा ही खा जाते थे। बाद में जब इन खूनी लड़ाइयों पर रोक लगा दी गई, तो लोग मौत की सजा पाने वाले कैदियों का खून पीने लगे।