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Sachchi Dosti: Kashmiri Lok Katha Story in Hindi सच्ची दोस्ती : कश्मीरी लोक कथा

Sachchi Dosti: Kashmiri Lok Katha Story in Hindi सच्ची दोस्ती : कश्मीरी लोक कथा

एक बार की बात है कि एक राजा और उसका वजीर दोनों बहुत मुश्किल में थे क्योंकि दोनों के कोई बेटा नहीं था। दोनों की यह एक सी मुश्किल उन दोनों को एक दूसरे के और करीब ले आयी थी।

वे एक दूसरे के साथ ही में खुश रहते। दोनों अलग अलग तो बस कभी कभार ही दिखायी पड़ते। जहाँ राजा रहता वहीं उसका वजीर भी रहता और जहाँ वजीर रहता राजा भी वहीं मिलता।

एक सुबह वे दोनों जंगल में शिकार करने गये। वहाँ उनको एक साधु मिल गया जो आग के सामने उकड़ूँ बैठा हुआ था। लगता था कि वह पूजा कर रहा था क्योंकि उसने आने वालों की तरफ देखा ही नहीं।

राजा बोला — “चलो चल कर इससे बात करते हैं। हो सकता है कि यह भला आदमी हमारा कुछ काम कर दे।”

सो दोनों ने उसके सामने लेट कर उसको प्रणाम किया और अपना दुखड़ा रोया।

सिर नीचे झुकाये झुकाये ही साधु बोला — “तुम दुखी मत हो। तुम लोग दुखी बिल्कुल मत हो। लो ये दो आम ले जाओ एक आम तुम अपनी पत्नी को खिला देना और यह दूसरा आम दूसरे की पत्नी को खिला देना। तुम दोनों की पत्नियों के बच्चे हो जायेंगे।”

साधु को बहुत बहुत धन्यवाद दे कर राजा और उसका मन्त्री दोनों अपने अपने घर लौट गये और आम अपनी अपनी पत्नियों को खिला दिये। ठीक समय पर दोनों ने एक एक लड़के को जन्म दिया।

जब ये दोनों लड़के पैदा हुए तो राजा के घर में और वजीर के घर में ही नहीं बल्कि सारे राज्य में खुशियाँ मनायी गयीं। ब्राह्मणों को बिना नाप तौल के बहुत सारी भेंटें दी गयीं। गरीब लोगों को खाना खिलाया गया। सारे कैदी छोड़ दिये गये। देश में ऐसा समय पहले कभी किसी ने नहीं देखा था।

जैसा कि सोचा जा सकता है दोनों घरों में दोनों बच्चों की खास देखभाल की गयी। जब वे बहुत छोटे थे तो उनकी देखभाल के लिये कई दाइयाँ रखी गयीं और जब वे कुछ बड़े हो गये तब उनको कई टीचर पढ़ाने के लिये रखे गये। उनको सब तरह की शिक्षा दिलवाने के लिये किसी पैसे या कोशिशों में किसी तरह की कोई कमी नहीं बरती गयी। इससे वे दोनों शिक्षा और कला दोनों में बहुत अच्छे निकले।

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अपने पिताओं की तरह वे भी आपस में एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे और दोनों अक्सर साथ साथ ही रहते।

एक दिन वे दोनों शिकार खेलने के लिये एक साथ जंगल में गये। वहाँ वे दोनों घंटों तक शिकार की खोज में घूमते रहे। काफी देर बाद राजकुमार बहुत थक गया और उसे प्यास भी लग आयी। वे अपने घोड़ों से उतर गये और उन्होंने अपने अपने घोड़े एक पेड़ से बाँध दिये।

राजकुमार वहीं घोड़ों के पास बैठ गया और वजीर का बेटा पानी की खोज में चल दिया। उसको जल्दी ही एक छोटी सी नदी मिल गयी। वह राजकुमार की प्यास को तो भूल गया और उस नदी के स्रोत को ढूँढने चल दिया।

वह एक दो मील ही गया होगा कि उसको उसका स्रोत मिल गया। वहाँ उसने एक बहुत सुन्दर परी को एक शेर के सहारे बैठा देखा। उसने यह भी देखा कि वह शेर उस परी से डरा हुआ था। यह दॄश्य देख कर तो वह आश्चर्य से चौंक गया और इसे बताने के लिये राजकुमार के पास दौड़ गया। साथ में उसने राजकुमार को पिलाने के लिये थोड़ा सा पानी भी साथ ले लिया।

जब वजीर का बेटा राजकुमार के पास पहुँचा तो राजकुमार ने पूछा — “अरे इतनी देर तक तुम कहाँ रह गये थे? और तुम ऐसे डरे डरे से क्यों दिखायी दे रहे हो तुम्हें क्या हुआ है?”

वजीर के बेटे ने जवाब दिया — “कुछ नहीं। कुछ नहीं।”

राजकुमार बोला — “कुछ तो हुआ है। तुम्हारा चेहरा बता रहा है कि तुम्हारे साथ जरूर ही कुछ हुआ है।”

तब वजीर के बेटे ने उसे बताया कि उसने एक बहुत सुन्दर लड़की को देखा है। वह शेर के सहारे बैठी हुई थी और वह शेर उससे बहुत डरा हुआ लग रहा था – ऐसा था उसकी सुन्दरता का जादू।

राजकुमार बोला — “मैं भी ऐसी लड़की को देखना चाहूँगा। तुम मुझे उसके पास ले चलो।”

वजीर का बेटा राजी हो गया और दोनों उस लड़की की तरफ चल दिये। वहाँ जा कर उन्होंने देखा कि शेर तो उस परी की गोद में सिर रखे सो रहा है।

वजीर का बेटा बोला — “डरो मत। हम उतनी देर में उस लड़की को पकड़ लेते हैं जबकि शेर सोया हुआ है।”

वे दोनों उस लड़की के और करीब चले गये। वजीर के बेटे ने शेर का सिर उठाया और उसको जमीन पर लिटा दिया। जबकि राजकुमार ने लड़की को पकड़ा और उसको साथ ले कर वहाँ से चल दिया। वजीर का बेटा वहीं रह गया।

जब शेर जागा तो वहाँ वजीर के बेटे के अलावा किसी और को न देख कर बोला — “अरे वह परी कहाँ गयी?”

वजीर का बेटा बोला — “मेरा दोस्त उसको ले गया है।”

Sachchi Dosti: Kashmiri Lok Katha Story in Hindi सच्ची दोस्ती : कश्मीरी लोक कथा

शेर बोला — “तुम्हारा दोस्त? तुम उसको अपना दोस्त कहते हो जो तुमको मरने के लिये यहाँ छोड़ गया है। वह तुम्हारा दोस्त नहीं वह तो तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन है। कोई सच्चा दोस्त इस तरीके से अपने दोस्त के साथ नहीं करेगा जैसा उसने तुम्हारे साथ किया है। अब मैं तुम्हें सच्चे दोस्तों की एक कहानी सुनाता हूँ।

एक बार की बात है कि तीन दोस्त थे। एक राजकुमार था एक ब्राह्मण था और एक बढ़ई था। इन तीनों के पास अपनी अपनी खास चतुराई थी। राजकुमार मुश्किल से मुश्किल और पेचीदा से पेचीदा मामलों को बहुत जल्दी सुलझा देता था। ब्राह्मण मरे हुए आदमी को ज़िन्दा कर सकता था। और बढ़ई चन्दन की लकड़ी का एक ऐसा घर बना सकता था जो उसके मालिक के कहने पर कहीं भी जा सकता था।

एक दिन ब्राह्मण और उसके माता पिता में कुछ कहा सुनी हो गयी तो उसके माता पिता ने उसे घर से निकाल दिया। इस परेशानी के समय में वह अपने दोनों दोस्तों के पास पहुँचा और जा कर उन्हें सब हाल बताया।

उसने उनसे कहा कि वे उसके साथ किसी दूर देश चलें। राजकुमार और बढ़ई दोनों राजी हो गये और तीनों वह देश छोड़ कर वहाँ से कहीं और चल दिये। वे लोग बहुत दूर नहीं गये थे कि राजकुमार किसी वजह से रुक गया। पर बढ़ई और ब्राह्मण आगे चलते रहे।

कुछ देर बाद राजकुमार जल्दी जल्दी आगे चला ताकि वह अपने दोस्तों को पकड़ सके पर बदनसीबी से वह दूसरे रास्ते पर चला गया और उनको न पा सका। वह इस आशा में चलता रहा चलता रहा कि वह अपने दोस्तों को ढूँढ लेगा।

पर जब काफी दूर जाने पर भी वे उसको नहीं मिले तो उसको लगा कि वे इतनी तेज़ क्यों जा रहे थे कि वह उनको पकड़ ही नहीं पा रहा था। पर इस बीच ब्राह्मण और बढ़ई दोनों बहुत ही धीरे चल रहे थे और सोच रहे थे कि राजकुमार अब तक उनको पकड़ क्यों नहीं पाया वे लोग तो बहुत धीरे धीरे जा रहे थे।

आखिर यह सोच कर उन्होंने उसके आने की आशा छोड़ दी कि शायद उसको घर की याद आ रही होगी तो वह घर वापस चला गया होगा।

चलते चलते राजकुमार एक बहुत बड़े मैदान में आ निकला जिसके बीच में एक बहुत बड़ी और शानदार बिल्डिंग खड़ी थी। उसने सोचा यहाँ कौन रहता है। यकीनन कोई ताकतवर आदमी ही रहता होगा। मैं जा कर मालूम करता हूँ।

सोचते हुए वह उस बिल्डिंग के दरवाजे तक गया और दरवाजा खटखटाया तो एक बहुत ही सुन्दर लड़की ने दरवाजा खोला और बड़ी मीठी आवाज में उसको अन्दर आने के लिये कहा। जब वह अन्दर आ गया तो वह रो पड़ी।

राजकुमार ने उससे उसके रोने की वजह पूछी तो वह बोली — “तुम्हारी सुन्दरता और तुम्हारी जवानी देख कर मुझे तुम पर दया आती है। अनजाने में ही तुम अपनी मौत के मुँह में आ फँसे हो। तुमने यहाँ आने से पहले यहाँ के बारे में जानने की कोशिश क्यों नहीं की।

क्या तुमको पता नहीं कि यहाँ एक राक्षस रहता है जिसने कई मीलों दूर तक के सारे आदमियों को खा लिया है। अफसोस अब तुम्हें मैं क्या बताऊँ। मुझे डर है कि वह तुम्हें भी खा जायेगा।”

राजकुमार बोला — “नहीं नहीं। तुम इतनी नाउम्मीद न हो। धीरज रखो। मुझे उसके बारे में कुछ बताओ तो शायद मेरी जान बच जाये।”

वह लड़की सिसकते हुए बोली — “पर मुझे पता नहीं कि मैं तुम्हारी सुरक्षा के लिये क्या करूँ।”

फिर वह उसको मकान के पीछे वाले कमरे की तरफ ले गयी और उसमे रखे एक बड़े बक्से में उसको बन्द कर दिया और उससे बोली — “अब तुम यहाँ तब तक चुपचाप रहो जब तक मैं यहाँ दोबारा आती हूँ। भगवान तुम्हारी रक्षा करें।”

शाम को राक्षस लौटा तो उसकी तेज़ सूँघने की ताकत ने उसे बता दिया कि वहीं कहीं कोई आदमी मौजूद था।

उसने लड़की से पूछा कि क्या तुम्हारे अलावा यहाँ कोई और भी आदमी है। कौन है वह कहाँ है वह जल्दी बताओ मुझे बहुत ज़ोर की भूख लगी है।

लड़की बोली — “लगता है आज तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है। यहाँ कोई आदमी नहीं आया। तुम क्या समझते हो कि यहाँ आने की कोई हिम्मत करेगा जो सारी दुनियाँ के लिये भयानक है।” यह सुन कर राक्षस चुप हो गया। स्त्री ने देखा कि उसके शब्दों का असर उस पर हो गया है तो उसकी हिम्मत और बढ़ गयी। उसको उससे मजाक सूझा तो उसने उससे उसकी ज़िन्दगी के बारे में कुछ और जानना चाहा।

वह बोली — “तुम मुझे रोज इस घर में अकेला छोड़ जाते हो। और जब तुम चले जाते हो तो मुझे यही पता नहीं होता कि तुम कब वापस लौटोगे। कभी कभी मुझे लगता है कि शायद तुम कभी वापस नहीं लौटोगे। और तब मैं सोचती हूँ कि मैं किधर जाऊँगी क्या करूँगी।

तुम्हारी वजह से लोग मुझसे नफरत करते हैं तो मुझे लगता है कि किसी दिन वे मुझे मार देंगे। तुम ही मुझे बताओ कि क्या मुझे डरने की कोई जरूरत नहीं है।”

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राक्षस बोला — “प्रिये रो मत। तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि मैं कभी नहीं मरूँगा।” फिर उस बिल्डिंग के एक बहुत बड़े खम्भे की तरफ इशारा करते हुए वह बोला — “जब तक यह खम्भा न टूट जाये मैं नहीं मर सकता। पर यहाँ कौन है जो यह बात जाने।” अगली सुबह जैसे ही राक्षस बाहर गया वह लड़की गयी और उसने राजकुमार को आजाद कर दिया और उसको रात वाली सारी बातें बता दीं। राजकुमार यह सब सुन कर बहुत खुश हुआ। वह बोला — “बस यही समय है। मैं इस खम्भे को तोड़ देता हूँ और उस राक्षस को मार देता हूँ।”

ऐसा कह कर उसने खम्भे को मार मार कर तोड़ दिया जब तक उसके सैकड़ों टुकड़े न हो गये। ऐसा लग रहा था कि राजकुमार की हर चोट सीधी राक्षस पर पड़ रही थी क्योंकि जैसे ही वह खम्भे को मारता था राक्षस बहुत ज़ोर से चिल्लाता था। जब खम्भा टूट कर गिर गया तो राक्षस भी मर गया।

अब राजकुमार उस सुन्दर लड़की के साथ उस घर में रहने लगा। आस पास के लोग उसका राक्षस को मारने के लिये धन्यवाद करने के लिये आये। उसके बाद उस देश में शान्ति और खुशहाली छा गयी। आस पास की जमीन में फिर से खेती होने लगी। गाँव बसने लगे। वातावरण में लोगों की हँसी और संगीत गूँजने लगा।

पर सच्ची खुशी हमेशा के लिये तो नहीं रहती। एक दिन वह लड़की अपने घर की एक खिड़की के सामने अपने बाल सँवार रही थी। बाल सँवार कर कंघी उसने खिड़की की दीवार पर रख दी कि एक कौआ वहाँ आया और उस कंघी को ले कर उड़ गया। वह उसको बहुत दूर समुद्र के पास ले कर उड़ गया और वहाँ जा कर उसको पानी में गिरा दिया।

वहाँ उसको एक बड़ी सी मछली ने निगल लिया और इस मछली को इत्तफाक से एक मछियारे ने पकड़ लिया। उसने देखा कि मछली बहुत बढ़िया थी सो उसे वह राजा के महल में राजा के खाने के लिये दे आया।

जब रसोइया मछली साफ कर रहा था तो उसको उसके पेट में एक कंघी मिली। उसको यह बड़ा अजीब सा लगा सो वह उसको राजा के पास ले गया। राजा ने जब वह कंघी देखी तो उसने उसके मालिक से मिलने की इच्छा प्रगट की।

उसने चारों तरफ अपने आदमी भेजे कि वह उस कंघी वाली का पता लगा कर लायें। और उसको बहुत बड़ा इनाम देने का वायदा किया जो उसे उसके पास लायेगा।

कुछ समय बाद एक स्त्री मिली जिसने कहा कि वह उस कंघी को पहचानती है और उसने यह वायदा भी किया कि वह उस कंघी की मालकिन से राजा को मिलवा देगी।

वह राजकुमार की पत्नी से मिली और बहुत जल्दी ही उनके परिवार में घुलमिल गयी। इतना ही नहीं बल्कि उसको घर में रहने के लिये भी बुला लिया गया जो उसने तुरन्त ही स्वीकार कर लिया।

उसने देखा कि जब तक राजकुमार ज़िन्दा है तब तक वह अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकती तो उसने राजकुमार को जहर दे दिया और हकीम को रिश्वत दे कर उसकी पत्नी से यह कहलवा दिया कि वह अपनी मौत ही मरा है।

उफ़ राजकुमार की पत्नी तो राजकुमार की मौत पर बहुत दुखी हुई और बहुत रोयी। उसके इतना दुखी होने पर तो लोगों को लगा कि वह तो मर ही जायेगी। पर उसने उसकी लाश को नहीं छोड़ा। उसने उसको एक मजबूत बक्से में बन्द करके अपने प्राइवेट कमरे में रख लिया।

उसने अपने पति से उसके दो दोस्तों के बारे में अक्सर सुना था कि वे क्या कर सकते थे। उसको यह आशा थी कि एक दिन वह उनसे जरूर मिलेगी और अपने पति को ज़िन्दा करवा लेगी।

जैसे ही उस स्त्री को मौका लगा उसने उस लड़की को उसका घर छोड़ने के लिये और अपने साथ रहने के लिये कहा। कहा कि वहाँ तो वह काफी परेशान थी कुछ दिन वह वहाँ से कहीं दूर रह लेगी तो उसको थोड़ी शान्ति मिल जायेगी। लड़की राजी हो गयी और उसके साथ चली गयी।

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अपने घर आते ही उस स्त्री ने राजा को खबर की कि वह अपने उद्देश्य में सफल हो गयी है। राजा वहाँ आया और उस लड़की को जबरदस्ती अपने महल ले गया और उससे प्रार्थना की कि वह उसके साथ उसकी रानी बन कर रहे।

लड़की बोली कि वह उससे शादी तो कर लेगी पर उसको छह महीने का समय दिया जाये क्योंकि उसके पंडित ने उससे ऐसा करने के लिये कहा था। राजा यह सुन कर बहुत खुश हुआ और उस दिन का इन्तजार करने लगा जब वह दिन आयेगा जब वह उस लड़की से शादी कर पायेगा।

उसके लिये उसने एक छोटा सा महल सड़क के किनारे बनवा दिया था। वह उसी में अकेली रहती थी। इस बीच वह लड़की भगवान से यह मनाती रही कि उसके पति के दोनों दोस्त कहीं से उसे मिल जायें तो वह इस राजा से शादी करने से बच जाये। वह हर जगह पूछताछ करती रही। वह हमेशा अपनी खिड़की पर ही बैठी रहती और इस आशा में बाहर की तरफ देखती रहती कि शायद वे दोनों वहाँ से कभी गुजरें।

एक दिन उसने दो आदमी अपने घर की तरफ आते देखे तो उसने उनसे पूछा — “आप लोग कौन हैं और कहाँ से आये हैं।”

वे बोले — “हम लोग यात्री हैं और काफी यात्रा करने के बाद यहाँ तक पहुँचे हैं। हमारो साथ हमारा एक दोस्त राजकुमार भी था पर अब वह खो गया है हम उसी को ढूँढते हैं।”

लड़की बोली — “आप अन्दर आइये और थोड़ा आराम कीजिये फिर मुझे अपने खोये हुए दोस्त के बारे में कुछ बताइये। शायद मैं आपके खोये हुए दोस्त को ढूँढने में आपकी कुछ सहायता कर सकूँ।”

सो वे दोनों महल में चले गये और उस लड़की के पास बैठ कर उन्होंने उसको अपनी सारी कहानी बतायी। लड़की बोली — “भगवान का लाख लाख धन्यवाद है कि आप लोग यहाँ हैं पर मुझे अफसोस है कि राजकुमार तो मर चुका है।”

ब्राह्मण बोला — “उसकी आप चिन्ता न करें मैं उसको ज़िन्दा कर लूँगा। भगवान का लाख लाख धन्यवाद है कि हम ठीक जगह पर पहुँच गये। भगवान आपकी हर इच्छा पूरी करे आप हमें राजकुमार का शरीर दिखा दीजिये।”

लड़की बोली — “पर ज़रा ठहरिये। हमको बड़ी सावधानी से काम लेना है। इस देश के राजा को मुझसे बहुत प्यार हो गया है। मेरी प्रार्थना पर वह शादी के लिये छह महीने तक मेरा इन्तजार करेगा। छह महीने पूरे होने वाले हैं और छह महीने पूरे होते ही वह मुझको यहाँ से ले जायेगा।

हम लोगों को बहुत ही सावधानी से काम करना है क्योंकि राजा ने मेरे चारों तरफ बहुत सारा पहरा लगा रखा है। जो कुछ भी यहाँ होता रहता है ये पहरेदार जा कर राजा को सब बताते रहते हैं। मुझे यकीन है कि आपका यहाँ होना भी राजा को पता चल गया होगा। अब देखना यह है कि हम यहाँ से निकलें कैसे।”

बढ़ई बोला — “मैम आप डरिये नहीं। अगर आप मुझे ज़रा सा चन्दन की लकड़ी का टुकड़ा ला दें तो मैं उससे एक ऐसा महल बना दूँगा जो उसके मालिक की इच्छा पर इधर से उधर आ जा सकेगा।”

लड़की बोली “ठीक है मैं देखती हूँ।”

इसी समय उस लड़की ने एक दूत राजा के महल की तरफ एक सन्देश ले कर भेजा — “मैंने आपसे शादी करने का फैसला किया है। हमारी शादी का दिन पास आ रहा है। आप मुझसे खुश रहें आप मुझे तीन सौ मन चन्दन की लकड़ी भिजवा दें।”

राजा ने तुरन्त ही उसकी बात मान कर उसको तीन सौ मन चन्दन की लकड़ी भिजवा दी और बढ़ई ने उससे मकान बनाना शुरू कर दिया। जब मकान बन कर तैयार हो गया तो लड़की ने राजा को एक और सन्देश भेजा।

“ओ भले शानदार राजा हमारी शादी का दिन अब पास आ रहा है तो आप मेरी भाभी और ननद को यहाँ तुरन्त आने की इजाज़त दें। मैं अपनी शादी के बारे में उनसे कुछ सलाह लेना चाहती हूँ।”

राजा ने उसकी यह प्रार्थना भी मान ली। जैसे ही वे दोनों स्त्रियाँ उस लड़की के पास चन्दन के मकान में पहुँची वैसे ही बढ़ई ने उस मकान को राक्षस के मकान के पास जाने के लिये कहा। वहाँ उनको राजकुमार मिल जाता और वे लोग राजा से दूर आराम से रहते।

बढ़ई के कहते ही चन्दन का मकान उड़ चला और वह इतनी बेआवाज उड़ा कि किसी को पता ही नहीं चला कि क्या हो रहा है। वे सब तो बस उसकी बनावट की ही तारीफ करने में लगी थीं कि अचानक उन्होंने अपने आपको मरे हुए राक्षस के महल के पास पाया।

लड़की ब्राह्मण को राजकुमार की लाश के पास ले गयी। ब्राह्मण ने बस उससे अपना हाथ छुआया कि वह ज़िन्दा हो गया। सब लोगों में खुशी की लहर दौड़ गयी।

राजकुमार की शादी लड़की से करा दी गयी। बाद में पता चला कि वह तो उस समय के एक बहुत बड़े ताकतवर राजा की बेटी थी। राजकुमार के दोनों दोस्तों बढ़ई और ब्राह्मण की शादी राजकुमारी की ननद और भाभी से करा दी गयी। सब लोग राक्षस के मकान में बहुत दिनों तक खुशी खुशी रहे।”

शेर ने अपनी कहानी खत्म करते हुए कहा — “ओ वजीर के बेटे, जैसे वे ब्राह्मण और बढ़ई उस राजकुमार के दोस्त थे वैसे लोग ही दोस्त होते हैं। राजकुमार की तो तुम बात मत करो जो खुद तो परी को ले कर चला गया और तुमको यहाँ मरने के लिये छोड़ गया।

उसको तुम अपना दोस्त मत कहो। वह तुम्हारा दोस्त नहीं है। खैर तुम मरोगे नहीं। मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा। तुम अपने घर जाओ और शान्ति से रहो।” और वजीर का बेटा वहाँ से चला गया।

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