शनि के साढ़ेसाती के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए दान, पूजन, व्रत, मंत्र, आदि उपाय किए जा सकते हैं। इसके लिए शनिवार को काला कम्बल, उड़द की दाल, काले तिल, चर्म-पादुका, काला कपुमा, मोआ अनाज, तिल और लोहे का दान करना चाहिए। शनिदेव की पूजा एवं शनिवार का व्रत रखना चाहिए। उपवास के दिन उड़द की दाल से बनी वस्तु, चने, बेसन, काले तिल, काला नमक तथा फलों का ही सेवन करना चाहिए। साथ ही स्वयं या किसी योग्य पंडित द्वारा शनि के निम्न मंत्र के 19000 जप संपन्न करवाने चाहिए।
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीतये, शं योरभिस्रवन्तु नः।। शं नमः।।
शनि की साढ़ेसाती में शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक शांति एवं समृद्धि, आर्थिक सुदृढ़ता तथा कार्यक्षेत्र में उन्नति के लिए निम्नलिखित महामृत्युंजय मंत्र के 125000 जप स्वयं या किसी योग्य पंडित द्वारा करवाने चाहिए।
ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्।। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
वैकल्पिक रूप से निम्नलिखित मंत्र के प्रतिदिन 108 जप किये जा सकते हैं।
ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूर्भुव स्वः ॐ।।
शनि के साढ़ेसाती के शुभत्व को बढ़ने के लिए शनिवार के दिन आप 51/4 रत्ती का नीलम रत्न पञ्च धातु में (सोना, चांदी, ताम्बा, लोखंड, जस्ता) या घोड़े की नाल या नाव की कील से निर्मित लोहे की अंगूठी धारण करें। लोहे की अंगूठी आप दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करें। अंगूठी शुक्ल पक्ष की शनिवार की सायं सूर्यास्त के समय धारण करें। पुष्य, अनुराधा या उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र अति शुभ हैं। उस दिन शनिवार का उपवास भी करना चाहिए। अंगूठी धारण करने से पहले इसे शुद्ध दूध एवं गंगाजल में स्नान कराना चाहिए तथा धूप आदि जलाकर शनि का पूजन करना चाहिए एवं निम्न मंत्र की एक माला या 108 बार जप करना चाहिए। नीलम मध्यमा उंगली में या गले में पेंडंट बनाकर धारण करें।
ॐ शनैश्चराय नमः।
अंगूठी धारण करने के पश्चात् शनि की वस्तुओं का दान देना चाहिए। इससे शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आएगी तथा आपकी सुख शांति एवं समृद्धि में वृद्धि होगी।
- श्री हनुमान चालीसा एवं श्री हनुमान अष्टक का पाठ करना श्रेष्ठ हैं।
- पारद शिवलिंग के दर्शन प्रतिदिन करें।
- शनिवार को सरसों के तेल में अपनी छाया देखकर तेल का दान करना चाहिए।
- जटा वाला नारियल, बादाम, काले जूते अथवा काली छतरी का दान करें।