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Sun Inside Structure in Hindi सूर्य के अंदर क्या हैं, आंतरिक भाग की संरचना कैसी है?

Sun Inside Structure

Sun Inside Structure- What’s inside SUN

क्या आप जानते है कि हमारा जो सूर्य है वो कई लेयर से मिलकर बना हुआ हैं? क्या आप बता सकते है कि सूर्य कितना बड़ा है क्या आपलोग इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं? अगर नही, तो चलिए जानते है आज के इस लेख के माध्यम से आपलोगों की जानकारी के लिए बता दें कि हमारे सौर मंडल में मौजूद सूर्य की त्रिज्या यानी रेडियस लगभग 7 लाख किलोमीटर जितना बड़ा है।अगर सूर्य की त्रिज्या इन आंकड़ों से समझ में नहीं आया तो आपको इसकी पृथ्वी से तुलना करके बताते हैं। सौरमंडल में मौजूद सूर्य में हमारी 13 लाख पृथ्वी समा सकती है। यानी अगर सौरमंडल में मौजूद सूर्य खोखला गोला होगा, तो उसमें पृथ्वी जैसे छोटे-छोटे 13 लाख गोले समा जाएंगे।

आज के इस लेख के माध्यम से हम यही जानेंगे कि सूर्य के अंदर क्या है? और कितना है? यानि सूरज की परतें सूर्य कितना पुराना है? और सूर्य के अंदर किस प्रकार के एलिमेंट्स भरे हुए हे

अब यह बात तो आपलोग जानते ही होंगे कि हमारी पृथ्वी कई लेयरों से मिलकर बनी हुई है। जैसे पृथ्वी की तीन परतें है – सियाल, सीमा और निफे। 

यानी हमारी पृथ्वी बिल्कुल प्याज की तरह है। जैसे प्याज में कई लेयर होते हैं. ठीक वैसे हैं हमारे पृथ्वी भी कई परतों से मिलकर बनी हुई है।

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लेकिन क्या आपको जानकारी है की सूर्य को भी वैज्ञानिकों ने अध्ययन करने के लिए कई लेयर्स यानी परतों में बांट रखा है। यह परत कई करोड़ों किलोमीटर तक मोटे हैं और अगर इन लेयर्स के तापमान की बात करें तो इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

यह करोड़ो डिग्री सेल्सियस से लेकर हजारों डिग्री सेल्सियस तक है। तो चलिए बिना देरी किये हम जानते हैं कि सूर्य कितने लेयर से मिलकर बना हुआ है. और इन लेयर्स की मोटाई कितनी है तथा इनके तापमान कितने हैं।

सूर्य की परतों के बारे में जानने का शुरुआत करेंगे सूर्य के सबसे अंदरूनी भाग से यानि से। सूर्य की सबसे अंदर का भाग जो कि है सूर्य का कोर, सूर्य का कोर आकार में सूर्य का तो केवल 20 से 25% तक का एक ही भाग होता है।

लेकिन यह कोर इतना ज्यादा गर्म है कि कल्पना से भी परे है। सूर्य का कोर यानी सेंटर का भाग का तापमान डेढ़ करोड़ डिग्री सेल्सियस जितना गर्म होता है। बेहद ही सघन सूर्य का कोर सूर्य का मए।

सूर्य के सेंटर में हाइड्रोजन के होकर हीलियम बनाते हैं और न्यूक्लियर फ्यूजन क्रिया से ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।

सूर्य के कोर का घनत्व 150 ग्रााम प्रति सेंटीमीटर है, जो कि बहुत ही ज्यादा हैं। दरअसल यह सूर्य का यह घनत्व पानी के घनत्व के 150 गुना से भी ज्यादा है.

सूर्य से निकलने वाली जितनी भी एनर्जी है उसका 99% ऊर्जा यहां से ही आता है। सूर्य 42.6 करोड़ मीट्रिक टन प्रति सेकंड की द्रव्यमान-ऊर्जा रूपांतरण दर पर ऊर्जा छोड़ता है, जो कि होता है 384.6 वाट जितना।

अब कोर के ऊपर के लेयर की बात कर लेते हैं।

कोर के ऊपर होता है यानी विकिरण क्षेत्र, सूरज की परतों में से ये 3.5 लाख किलोमीटर की मोटी परत होती है। यह परत कोर से थोड़ा कम सघन होती है।

आपलोगों को एक बेहद ही कमाल की और रोचक बात बताते हैं, इस लेयर के बारे में, सूर्य के कोर के अंदर जितनी भी प्रकाश उत्पादन होती है, उसे विकिरण क्षेत्र को पार होकर अगले लेयर तक पहुंचने में 1 लाख 70 हज़ार साल तक समय लग जाता है।

हालांकि यह कोर से कम सघन होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम इसकी डेंसिटी की कल्पना कर सकते हैं यह फिर भी बहुत ज्यादा होती है। इसलिए कोर से लेकर विकिरण क्षेत्र तक प्रकाश को पास करने में 1 लाख 70 हज़ार साल तक का समय लग जाता है।

अगर तापमान की बात करें तो यह लगभग 70 लाख डिग्री सेल्सियस तक गर्म होता है। सूर्य की त्रिज्या का .7 गुना भाग यह विकिरण क्षेत्र ही होता है। और सूर्य के इस परत का घनत्व 20 ग्राम पर सैंटीमीटर क्यूब से लेकर 0.2 ग्राम पर सेंटीमीटर जितना होता है. और यह परत भी काफी गर्म होती है।

किरण क्षेत्र के ऊपर होता है संवहन क्षेत्र की लेयर, इसकी प्लाज्मा बहुत ज्यादा सघन नहीं होती है। जितनी की कोर और विकिरण क्षेत्र की होती है। यह लेयर बाकि के सूरज की परतें से कम मोटी होती है।

और ये सूरज की परतों का सबसे बाहरी परत होता है। इसकी मोटाई लगभग 20 लाख किलोमीटर होती है। तापमान की अगर बात करें तो इसका निचली सतह लगभग 20 लाख डिग्री सेल्सियस तक गर्म होता है। और ऊपर की सतह यानी सूरज की बाहरी सतह का तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस होता है।

तापमान के बीच इतना ज्यादा अंतर होने के कारण इस लेयर पर संवहन प्रक्रिया (convection process) होता है, जो कि गर्मी को बाहर करता है।

इस परत में मौजूद मटेरियल का घनत्व 0.2 g/m3 होता हैं। अगर हम सूरज की तरफ टेलिस्कोप करेंगे और इस लेयर को देखने का प्रयास करेंगे तो हमें दिखेगा।

सूरज के ऊपर कुछ काला धब्बा और इन डार्क स्पॉट का आकृति और माप भी निरंतर बदलता रहता हैं। इन डार्क स्पॉट के बनने का कारण अंदर से (चुंबकीय क्षेत्र) के एनर्जी के रूप में बाहर निकलते हैं। टेलिस्कोप के जरिये वैज्ञानिक इन डार्क स्पॉट के अन्दर भी देख लेते हैं।

सूर्य ही नहीं ब्रह्मांड के सभी तारों का मूल तत्व हाइड्रोजन हीं होता है। (विलय) की क्रिया के द्वारा ही आगे हीलियम, कार्बन, ऑक्सीजन, नियॉन जैसे तत्वों बनते हैं।

लेकिन हमारे सूर्य के पास उतना द्रव्यमान नहीं है कि यह तत्वों को यानी गलाकर के (भारी तत्व) बनाता रहे।

अंतरिक्ष में मौजूद हमारा सूरज एक छोटा सा तारा है जो कि 70% तक हाइड्रोजन और हीलियम से बना हुआ है। तो अगर आप सूरज को एक खोखला गोला माने तो उसमें मुख्यतः हाइड्रोजन और हीलियम प्लाज्मा इस फॉर्म में भरे हुए हैं. अलग परत की सजावट के साथ और यही पदार्थ ही फ्यूज होकर हमें भयंकर मात्रा में ऊर्जा देते हैं। हमारी इस धरती पर उर्जा का मूल स्रोत सूरज की उर्जा ही हैं।

नोट:- तो आज के इस लेख में हमने अपने 4.5 अरब साल से भी ज्यादा पुराने तारे के अंदरूनी भाग यानि सूर्य की परतें के रहस्य को जान लिया है। यह लेख आपलोगों को कैसा लगा कमेंट सेक्शन में लिखना ना भूलें। धन्यवाद

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