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तेनालीराम मटके में की कहानी Tenaliram Matke Me Story in Hindi

तेनालीराम मटके में की कहानी Tenaliram Matke Me Story in Hindi

एक बार महाराज कृष्णदेव राय तेनालीराम से इतने नाराज़ हो गए कि उन्होंने उसे अपनी शक्ल न दिखाने का आदेश दे दिया और कहा ,“ अगर उसने उनके हुक्म की अवहेलना की तो उसे कोड़े लगायें जाएंगे।”

महाराज उस समय बहुत क्रोधित थे इसलिए तेनालीराम ने वहाँ से जाना ही उचित समझा । अगले दिन जब महाराज राजदरबार की ओर आ रहे थे

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तो तेनालीराम से चिढ़ने वाला एक दरबारी महाराज को तेनालीराम के खिलाफ भड़काता जा रहा था।वह महाराज से बोला, “आज तो तेनालीराम ने आपके आदेश की अवहेलना की है । आपके मना करने के बावजूद भी वह दरबार में आया है और वहाँ ऊल -जुलूल हरकते करके सबको हंसा रहा है।”

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तेनालीराम मटके में की कहानी Tenaliram Matke Me Story in Hindi

दरबारी की बात सुनकर महाराज के कदम तेज़ी से राजदरबार की ओर बढ़ने लगे। राजदरबार पहुँचते ही महाराज ने देखा की तेनालीराम ने अपने मुख पर मटका पहन रखा है, जिसमें आँख की जगह दो छेद बने हुए हैं ।यह देखते ही महाराज आग- बबूला हो गए और तेनालीराम पर गरजे , “ एक तो तुमने हमारा हुक्म नही माना और ऊपर से ये अजीबों – गरीब हरकतें कर रहे हो ।

अब तो तुम कोड़े खाने के लिए तैयार हो जाओ। जैसे ही महाराज ने ये कहा ,तेनालीराम के विरोधी बहुत खुश हुए लेकिन तभी तेनालीराम बोला, “ महाराज मैंने तो आपकी किसी आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया है।आपका आदेश था की मैं आपको अपना चेहरा न दिखाऊँ।क्या आपको कहीं से मेरा चेहरा दिख रहा है ? यदि ऐसा है तो जरुर उस कुम्हार ने मुझे फूटा हुआ मटका दे दिया है।”

तेनालीराम की बात सुनते ही महाराज का गुस्सा छूमंतर हो गया और उनकी हंसी छूट पड़ी ।वे बोले, “ किसी ने सच ही कहा है कि बेवकूफों और विदूषकों पर नाराज़ होना व्यर्थ है।अब इस मटके से मुंह को बाहर निकालो और अपने आसन पर बैठ जाओ। तेनालीराम के विरोधी फिर से मन मारकर रह गए ।

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