
तिलोत्तमा की रत्नमाला हिन्दी कहानी
Tilottama Ki Ratanmala Story in Hindi ,kids stories, moral stories, kids stori, hindi kahaniya, hindi kahani for kids, stories in hindi,हिन्दी कहानी ,Motivational Story,
यह कहानी उस समय की है जब धरती पर मानव की सृष्टि नहीं हुई थी । एक बार इन्द्र सभा में अप्सराओं की नृत्यप्रतियोगिता रखी गई थी ।
हमारे इस कहानी को भी पड़े : सबसे झूठा कौन शेखचिल्ली की कहानी
वहाँ लोक-लोकांतर के सभी चक्रवर्ती राजा भी उपस्थित थे । सभी अपसराओं में तिलोत्तमा को नृत्य की विजयेता घोषित किया गया । पुरस्कार में उसे विश्व का सर्वोत्तम रत्नमाला प्राप्त हुआ । साथ में ब्रह्माण्ड यात्रा के लिए अनुज्ञा पत्र भी मिला
गले में रत्नमाला डाल लोक – लोकांतर की सैर करते हुए वह पृथ्वीलोक पहुँची । पृथ्वीलोक की सुन्दरता उसे इतना आकर्षित किया कि तिलोत्तमा अपनी आँखें बन्द कर पृथ्वी की ओर बढ़ने लगी ।
आँखें खोलने पर उसे एक अद्भूत दृश्य देखने को मिला । वहाँ मानव के बदले एक विशाल और विकराल पशु दिखाई दिया जिसे आजकल हम डायनोसोर कहते हैं । वह पशु धरती पर, पानी में और आकाश में भी विचरण करता था । यदि उस समय मानव जन्म हुआ होता तो इन भीमकाय जीवों के बीच कुचल और मसल जाते ।
हमारे इस कहानी को भी पड़े : खयाली पुलाव शेखचिल्ली की कहानी
तिलोत्तमा इनसे बचने के लिए अपना शरीर बढ़ा कर अफ्रीका के पूर्वी तट पर पहुँची । उसके शरीर के भार से महाद्वीप का एक टुकड़ा जो उसके चप्पल में फंस गई थी, समुद्र में काफी दूर तक चला गया । आज वह टुकड़ा मडागास्कर के नाम से जाना जाता है । उसकी रत्नमाला टूट कर बिखर गई । निचले भाग का सबसे सुन्दर टुकड़ा मॉरीशस बन गया जो हिन्दमहासागर में अपने आलोक से तारे की तरह चमकता है । अपनी जीत की निशानी को खो कर तिलोत्तमा को बड़ा पछ्तावा हुआ । उसका विलाप हम क्षुद्र प्राणियों को बहुत महंगा पड़ता है । उसके क्रन्दन से सभी जीव-जन्तु, पेड़-पौधे सन्तप्त हो जाते हैं और उसका परिणाम दुखदायी होता है ।