Gazab Adda
अजब गज़ब दुनिया की हिंदी खबरे

टिपटिपवा हिन्दी लोक कथा Tipatipava Story in Hindi

टिपटिपवा हिन्दी लोक कथा Tipatipava Story in Hindi

एक थी बुढ़िया। उसका एक पोता था। पोता रोज़ रात में सोने से पहले दादी से कहानी सुनता। दादी रोज़ उसे तरह-तरह की कहानियाँ सुनाती।

हमारे इस कहानी को भी पड़े : चतुरी चमार की हिन्दी लोक कथा

एक दिन मूसलाधार बारिश हुई। ऐसी बारिश पहले कभी नहीं हुई थी। सारा गाँव बारिश से परेशान था। बुढ़िया की झोंपड़ी में पानी जगह-जगह से टपक रहा था—- टिपटिप टिपटिप । इस बात से बेखबर पोता दादी की गोद में लेटा कहानी सुनने के लिए मचल रहा था। बुढ़िया खीझकर बोली—“अरे बचवा, का कहानी सुनाएँ? ई टिपटिपवा से जान बचे तब न !

पोता उठकर बैठ गया। उसने पूछा- दादी, ये टिपटिपवा कौन है? टिपटिपवा क्या शेर-बाघ से भी बड़ा होता है?

दादी छत से टपकते पानी की तरफ़ देखकर बोली—हाँ बचवा, न शेरवा के डर, न बघवा के डर, डर त डर टिपटिपवा के डर।

संयोग से मुसीबत का मारा एक बाघ बारिश से बचने के लिए झोंपड़ी के पीछे बैठा था। बेचारा बाघ बारिश से घबराया हुआ था। बुढ़िया की बात सुनते ही वह और डर गया।

अब यह टिपटिपवा कौन-सी बला है? ज़रूर यह कोई बड़ा जानवर है। तभी तो बुढ़िया शेर-बाघ से ज्यादा टिपटिपवा से डरती है। इससे पहले कि बाहर आकर वह मुझपर हमला करे, मुझे ही यहाँ से भाग जाना चाहिये।
बाघ ने ऐसा सोचा और झटपट वहाँ से दुम दबाकर भाग चला।

उसी गाँव में एक धोबी रहता था। वह भी बारिश से परेशान था। आज सुबह से उसका गधा गायब था। सारा दिन वह बारिश में भीगता रहा और जगह-जगह गधे को ढूंढता रहा, लेकिन वह कहीं नहीं मिला।
धोबी की पत्नी बोली – जाकर गाँव के पंडित जी से क्यों नहीं पूछते? वे बड़े ज्ञानी हैं। आगे-पीछे सबके हाल की उन्हें खबर रहती है।

हमारे इस कहानी को भी पड़े : सच्चा मन हिन्दी लोक कथा

पत्नी की बात धोबी को जँच गई। अपना मोटा लट्ठ उठाकर वह पंडित जी के घर की तरफ़ चल पड़ा। उसने देखा कि पंडित जी घर में जमा बारिश का पानी उलीच-उलीचकर फेंक रहे थे।
धोबी ने बेसब्री से पूछा – महाराज, मेरा गधा सुबह से नहीं मिल रहा है। जरा पोथी बाँचकर बताइये तो वह कहाँ है?

सुबह से पानी उलीचते-उलीचते पंडित जी थक गए थे। धोबी की बात सुनी तो झुंझला पड़े और बोले—मेरी पोथी में तेरे गधे का पता-ठिकाना लिखा है क्या, जो आ गया पूछने? अरे, जाकर ढूंढ उसे किसी गढ़ई-पोखर में।

और पंडित जी लगे फिर पानी उलीचने। धोबी वहां से चल दिया। चलते-चलते वह एक तालाब के पास पहुँचा। तालाब के किनारे ऊँची-ऊँची घास उग रही थी। धोबी घास में गधे को ढूँढने लगा। किस्मत का मारा बेचारा बाघ टिपटिपवा के डर से वहीँ घास में छिपा बैठा था। धोबी को लगा कि बाघ ही उसका गधा है। उसने आव देखा न ताव और लगा बाघ पर मोटा लट्ठ बरसाने। बेचारा बाघ इस अचानक हमले से एकदम घबरा गया।

टिपटिपवा हिन्दी लोक कथा Tipatipava Story in Hindi

बाघ ने मन ही मन सोचा – लगता है यही टिपटिपवा है। आखिर इसने मुझे ढूंढ ही लिया। अब अपनी जान बचानी है तो जो यह कहता है, वही करना होगा।

आज तूने मुझे बहुत परेशान किया है । मार मारकर मैं तेरा कचूमर निकाल दूँगा। ऐसा कहकर धोबी ने बाघ का कान पकड़ा और उसे खींचता हुआ घर की तरफ़ चल दिया। बाघ बिना चूं चपड़ किये भीगी बिल्ली बना धोबी के साथ चल दिया। घर पहुँच कर धोबी ने बाघ को खूंटे से बांधा और सोने चला गया।
सुबह जब गाँव वालों ने धोबी के घर के बाहर खूंटे से बंधे बाघ को देखा हैरानी से उनकी आँखें खुली रह गईं।

Rate this post
You might also like
Leave A Reply

Your email address will not be published.