अकसर आप लोगों को खुजलाते देखते होंगे. ख़ुद भी दिन में कई बार ऐसा करते होंगे. कभी आपने सोचा कि आख़िर खुजली क्यों होती है? क्यों अपनी ही देह पर खरोंचने का मन होता है? आपको यह जानकर हमेशा आश्चर्य होगा कि आपके मुंह के भीतर खुजली हो सकती है, लेकिन आपके पेट के भीतर कभी खुजली नहीं हो सकती. आप अपने पेट में दर्द का अनुभव कर सकते हैं, पर खुजली का नहीं. अगर आप इससे Confuse हो रहे हैं, तो चिंता मत कीजिये, क्योंकि ऐसे आप अकेले नहीं हैं.
वैज्ञानिक अभी भी दर्द और खुजली के अंतर को समझने की कोशिश कर रहे हैं, जिसका ज़िक्र उन्होंने ‘The Science of the Sense that Makes Us Human’ बुक में किया है. हालांकि अभी भी इस अंतर को वैज्ञानिक पूरी तरह से समझ नहीं पाये हैं.
अमेरिका के बाल्टमॉर स्थित Johns Hopkins University में तंत्रिका विज्ञान के प्रोफेसर के अनुसार, ‘कुछ लोगों का मानना है कि खुजली एक विशेष प्रकार के स्पर्श के दावे के बजाय एक खास तरह का दर्द है.’ हालांकि उन्होंने खुजली और दर्द के बीच की समानता को भी समझाया है. दोनों को केमिकल, गर्मी और बल से सक्रिय किया जा सकता है और दोनों को कभी-कभी Anti-inflammatory दवाओँ से खत्म भी किया जा सकता है. दर्द और खुजली दोनों ध्यान, चिंता और उम्मीद से संबंधित हैं और हमारे शरीर पर इनके होने का संकेत है कि हमें इनसे बचना चाहिए.
प्रोफेसर लिंडेन का कहना है कि तीव्र दर्द हानिकारक यांत्रिक, रासायनिक और थर्मल उत्तेजनाओं से चेतावनी संकेतक के रूप में कार्य करता है, जो हमारे ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसी तरह खुजली का एहसास हमें सजग करता है, जिससे हम रोग वाहक कीड़ों से रक्षा कर सकते हैं.
दूसरे शब्दों में, खुजली और दर्द में ज़्यादा फ़र्क़ नहीं है. असल में हमारी त्वचा में ऐसी नसों का जाल बिछा है ,जो हमारी रीढ़ की हड्डी और उसके ज़रिए दिमाग़ से जुड़ी हैं. इन्हें तंत्रिकाएं कहते हैं.
इनका काम हमारे शरीर पर आने वाले ख़तरे से दिमाग़ को आगाह करना होता है. जब यह ख़तरा मामूली होता है, तो इससे खुजली का अहसास होता है. मगर ख़तरा बड़ा हुआ, तो दर्द महसूस होता है. वैसे कुछ वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि दर्द और खुजली का अहसास कराने वाली तंत्रिकाएं अलग-अलग होती हैं.
जो मरीज दर्द के प्रति असंवेदनशील होते हैं, वे खुजली के प्रति भी असंवेदनशील होते हैं. ये दोनों मस्तिष्क में एक ही प्रकार के संवेदी क्षेत्रों को सक्रिय करते हैं. लेकिन उन दोनों संवेदनाओं के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर भी होता है, जैसे वे अलग-अलग प्रतिक्रियाओँ को प्रॉड्यूस करते हैं. जब हम हल्का स्पर्श महसूस करते हैं, तो एक खुजली महसूस करते हैं. इसके बाद हम त्वचा को खुजला कर उसे जवाब देते हैं. लेकिन दर्द बहुत अलग तरह से व्यवहार करता है. यह शरीर के घायल अंग को अलग रखने के लिए कहता है.
वाशिंगटन विश्वविद्यालय में खुजली पर अध्ययन कर रहे Dr Hongzhen Hu के अनुसार, व्यावहारिक तौर पर दर्द एक वापसी प्रतिक्रिया की शुरुआत करता है लेकिन खुजली उस उत्तेजना क्षेत्र की ओर ध्यान आकर्षित करती है. ऐसे में दवा दर्द को दबा सकती है, पर खुजली को और बढ़ा देती है. कम से कम कुछ पल के लिए ही सही पर Scratching दर्द को कम कर सकती है, खुजली से राहत दिला सकती है.
वैसे दर्द और खुजली में बुनियादी फ़र्क़ यह है कि दर्द होने की सूरत में हम उस चीज़ से दूर भागते हैं, जिसकी वजह से दर्द होता है. जैसे जलती हुई मोमबत्ती के क़रीब हाथ ले जाएंगे, तो तकलीफ़ होगी. इसीलिए हम वहां से फ़ौरन हाथ हटा लेते हैं. मगर खुजली में इसके उलट होता है. जहां खुजली होती है, वहां हमारा हाथ तुरंत पहुंच जाता है. मतलब शरीर का वह हिस्सा हमारा ध्यान अपनी तरफ़ खींचने के लिए खुजली का अहसास कराता है.
अगर खुजली स्पर्श का एक विशेष रूप है, तो वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि खुजली को जन्म देने वाले और उसे प्रेरित करने वाले संवेदी न्यूरॉन्स को खोज लेंगे. डॉ हू के अनुसार, उच्च दर्द खुजली का भी संकेत देता है. इसलिए इन दोनों के बीच में संचार के कुछ स्तर होते हैं.
वैसे खुजली, छुआछूत की बीमारी जैसी है. आस-पास किसी को खुजलाते देखेंगे तो आपका हाथ भी कई बार ख़ुद-ब-ख़ुद चल पड़ता होगा. जैसे आस-पास बैठे लोग जम्हाई लें तो आपको भी जम्हाई आने लगती है. ठीक वैसे ही बंदरों में एक-दूसरे को देखकर खुजलाने की आदत आम है. यही वजह है कि कई बार आपके प्रिय परिजन जब आपकी पीठ खुजाते हैं, तो आपको अच्छा लगता है.
अमरीकी कवि ओडगन नैश ने लिखा था, “ख़ुशी वो अहसास है, जो हर उस जगह खुजाने से महसूस होती है जहां खुजली होती है”.
ख़ुशी की यह परिभाषा, शायद खुजली करने वालों के लिए थी. यानी हर इंसान के लिए.